'मिस्त्री का हिस्सा 70 से 80 हजार करोड़ रुपये का' | देव चटर्जी / मुंबई December 08, 2020 | | | | |
टाटा समूह का अनुमान है कि टाटा संस में मिस्त्री परिवार की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी का मूल्य 70,000 करोड़ रुपये से 80,000 करोड़ रुपये है, जबकि मिस्त्री परिवार 1.78 लाख करोड़ रुपये का दावा कर रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई के दौरान टाटा संस के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मिस्त्री परिवार के शेयरों की कीमत 70,000 से 80,000 करोड़ रुपये है और टाटा संस का कोई सदस्य समूह की अन्य कंपनियों पर आरोप नहीं लगा सकता है।
टाटा संस की पैरवी करते हुए साल्वे ने कहा कि टाटा समूह को उसके पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने शानदार तरीके से चलाया था और 19991 से 2012 तक के उनके कार्यकाल के दौरान टाटा का बाजार पूंजीकरण 500 गुना बढ़ा।
साल्वे ने अदालत को बताया, 'जब 500 फीसदी वृद्धि हुई है तो कुछ परियोजनाएं सफल हुई होंगी और कुछ असफल।' उन्होंने कहा, 'केवल कुछ उद्यमों के घाटे में होने का यह मतलब नहीं है कि टाटा संस में कुप्रबंधन है।'
सर्वोच्च न्यायालय टाटा संस की तरफ से पिछले साल दिसंबर में एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई कर रहा है। एनसीएलएटी ने अपने आदेश में न केवल साइरस मिस्त्री को न केवल टाटा समूह के चेयरमैन के रूप में बहाल किया बल्कि मिस्त्री के उत्तराधिकारी एन चंद्रशेेखरन की नियुक्ति को भी अवैध करार दिया।
साल्वे ने कहा कि मिस्त्री और पलोनजी समूह ने कभी चेयरमैन के रूप में एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति पर आपत्ति नहीं जताई थी। इसके बावजूद एनसीएलएटी ने चंद्रा की नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि एनसीएलएटी का फैसला न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है।
साल्वे ने कहा कि मिस्त्री को बहाल कर एनसीएलएटी ने टाटा संस का नियंत्रण अल्पांश हिस्सेदारों के हाथ में दे दिया और उन्हें टाटा संस की सभी कंपनियों को चलाने का अधिकार दे दिया। साल्वे ने कहा कि अल्पांश शेयरधारक लाभांश के हकदार हैं।
ऐसे में जब टाटा संस लाभांश के रूप में बड़ी राशि वितरित कर रहा है तो कारोबार को समेटने का सवाल कहां पैदा होता है? टाटा ट्रस्ट्स को वीटो पावर देने वाले टाटा संस के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन पर साल्वे ने कहा कि एनसीएलएटी को टाटा संस के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन को फिर से लिखने का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि एनसीएलएटी को चेयरमैन को हटाने का अधिकार है, लेकिन चेयरमैन का चयन उसके शेयरधारकों द्वारा किया
जाना चाहिए। अगर संख्या के नियमों को मंजूरी दी जाती है तो मिस्त्री को बोर्ड में एक सीट से अधिक नहीं मिलेगी। टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में 68 फीसदी हिस्सेदारी है।
साल्वे ने कहा कि समूह को अगर कोई भी बड़ा नुकसान होता है तो इसका सबसे अधिक असर बहुलांश शेयरधारकों पर होगा और अल्पांश शेयरधारक इसकी जद में नहीं आएंगे। साल्वे ने कहा कि टाटा संस 1917 से एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी थी और एनसीएलएटी ने इस बात की अनदेखी कर दी कि आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन शेयरधारकों और कंपनी के बीच मुख्य अनुबंध है। आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में बदलाव पर पलोनजी मिस्त्री ने सहमति दी थी। साल्वे ने कहा कि मिस्त्री परिवार के संरक्षक पलोनजी मिस्त्री उस सयम कंपनी में एक निदेशक थे। आर्टिकिल ऑफ एसोसिएशन में बदलाव होन से टाटा ट्रस्ट को वीटो का अधिकार मिल गया था।
वर्ष 2000 में टाटा संस के एओए की दोबारा शुरुआत हुई और शेयरधारकों की विशेष मंजूरी के बाद नए प्रावधानों ने इसकी जगह ली। एओए ने टाटा ट्रस्ट्स को एक तिहाई तक निदेशक नियुक्त करने सहित कुछ विशेष अधिकार दिए। टाटा ट्रस्ट्स के नामित निदेशकों को एक स्वीकारात्मक मतदान का भी अधिकार मिल गया। एओए में कहा गया कि ये अधिकार तभी तक प्रभाव में रहेंगे जब तक टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में शेयर पूंजी कम से कम 40 प्रतिशत बरकरार रहेगी।
ट्रस्ट की हिस्सेदारी कम होने पर उसके हितों की रक्षा के लिए ही ये प्रावधान लाए गए थे। एओए में ये बदलाव शेयरधारकों की बिना किसी आपत्ति के हुए। एसपी समूह ने इन संशोधनों के पक्ष में मतदान किया था। वर्ष 2012 और 2014 में हुए संशोधनों पर शेयरधारकों ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। 2014 में हुए संशोधनों के जरिये दो नए आर्टिकल जोड़े गए। इनमें आर्टिकल 121ए के तहत कुछ मुद्दों पर निर्णय निदेशकमंडल के द्वारा ही होना था। आर्टिकल 121बी के तहत निदेशकमंडल के किसी भी सदस्य को 15 दिन के अग्रिम नोटिस के साथ चर्चा और टाटा संस निदेशक मंडल द्वारा विचार के लिए कोई भी मामला या प्रस्ताव लाने का अधिकार दिया गया।
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