टीके की आपात मंजूरी के क्या हैं मायने | सोहिनी दास / December 07, 2020 | | | | |
अमेरिका की प्रमुख दवा कंपनी फाइजर की भारतीय इकाई के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में ऑक्सफर्ड के कोविड-19 टीका के आपातकालीन इस्तेमाल के अधिकार (ईयूए) की मंजूरी की मांग करते हुए भारतीय औषधि महानियंत्रक को आवेदन दिया है।
ईयूए क्या है और इसे कब दिया जाता है?
जब किसी बिना मंजूरी वाली दवाओं या टीके या स्वीकृत दवाइयां या टीके जिन्हें आपात स्थिति में गंभीर या जानलेवा बीमारियों, इलाज या रोकथाम के लिए नियामक द्वारा मार्केटिंग का अधिकार दिया जाता है तब उसे ही ईयूए कहा जाता है। पूर्ण अधिकार के मामले में नियामक ऐसे उत्पादों को इस तरह की मंजूरी देने के लिए लंबे समय तक एकत्र किए गए अधिक विस्तृत आंकड़ों का आकलन करता है।
क्या ईयूए कोविड महामारी के दौरान ही दिया गया है?
हां, महामारी के दौरान रेमडेसिविर और फेविपिराविर जैसी दवाओं को नियामकों द्वारा ईयूए प्रदान किया गया है। रेमडेसिविर दवा इबोला के लिए तैयार की गई है। अब इसका कोविड-19 मरीजों पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है और नियामक कोविड-19 रोगियों पर इसके इस्तेमाल से एकत्र किए गए डेटा मांगेंगे। इस तरह के आंकड़े के अभाव में ही किसी दवा को ईयूए दिया गया। इसके बाद, इसके प्रवर्तक गिलियड ने मरीजों पर रेमडेसिविर के इस्तेमाल से जुटाए गए डेटा जमा किए हैं और इस दवा को अमेरिका में पूर्ण अधिकार मिला है। हालांकि भारत में नियामक ने अभी तक रेमडेसिविर को पूर्ण विपणन का अधिकार नहीं दिया है।
इससे किसी उपभोक्ता या मरीज पर क्या फर्क पड़ता है?
भारतीय नियामक ने रेमडेसिविर जैसी दवाओं के लिए इसे प्रतिबंधित आपातकालीन इस्तेमाल अधिकार कहा है जिसका अर्थ है कि जो डॉक्टर किसी मरीज को दवा लिखता है तो उसे जोखिम और फायदे के बारे में विस्तार से बताना होता है और यह भी स्पष्ट रूप से कहना होता है कि इस दवा को पूर्ण मंजूरी नहीं मिली है। मरीज को अपनी सहमति एक फॉर्म पर हस्ताक्षर करके बतानी होती है जिससे यह संकेत मिल सके कि वह इसके निहितार्थ को समझ लिया गया है।
क्या कभी किसी भी टीके को ईयूए दिया गया है?
नहीं। किसी भी टीके को ईयूए दिए जाने का कोई फैसला नहीं किया गया है। एक टीका तैयार करने के लिए अनुसंधान में कई साल लगते है और डेटा एकत्र करने के साथ-साथ लंबी अवधि में इनका विश्लेषण किया जाता है। इससे पहले कोई ऐसा टीका नहीं बना जिसे ईयूए दिया गया है। ब्रिटेन के नियामक ने ही सबसे पहले फाइजर-बायोएनटेकटीके को पिछले हफ्ते ईयूए दिया है। यूएसएफडीए तब ईयूए देता है जब यह संतोषजनक रूप से यह निर्धारित कर लेता है कि जांच में शामिल उत्पाद के संभावित फायदा संभावित जोखिम की तुलना में कहीं ज्यादा होगा। ईयूए केवल पहले चरण और दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण डेटा के आधार पर कभी नहीं दी जाती है (जो यह देखने के लिए आवश्यक हैं कि चिकित्सा उत्पाद सुरक्षित है)। तीसरे चरण के परीक्षण में पर्याप्त प्रभावशीलता वाले आंकड़े मिलने के बाद ही ईयूए दिया जाता है। कोविड-19 टीकों के लिए यूएसएफडीए पहले से ही निर्दिष्ट कर चुका है कि यह ईयूए के लिए आवेदन पर तभी विचार करेंगे जब तीसरे चरण के डेटा से यह अंदाजा मिल सके कि यह बीमारी की रोकथाम में कम से कम 50 फीसदी प्रभावी था। इस डेटा को कम से कम 3,000 से अधिक परीक्षण प्रतिभागियों के जरिये जुटाने की जरूरत होती है जिन्हें सभी खुराकों के बाद कम से कम एक महीने तक के लिए किसी भी गंभीर प्रतिकूल परिस्थिति के लिए फॉलो किया गया हो। भारत ने यह भी संकेत दिया है कि वह ऐसे टीके पर विचार करेगा जो इस बीमारी को रोकने में कम से कम 50 प्रतिशत तक प्रभावी रहा हो।
महामारी में टीकों को पूर्ण अधिकार के बजाय ईयूए क्यों दिया जाता है?
साल 2020 में सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 टीका तैयार करने के लिए शोध में तेजी आई है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। क्लीनिकल परीक्षण डेटा की त्वरित समीक्षा का मतलब यह नहीं है कि परीक्षण में भी तेजी आई है। इन विषयों के परीक्षण पर पर्याप्त समय लगा है और खुराक निर्धारित अंतराल पर दी गई है। नियामक समय-समय पर इन परीक्षणों के आंकड़ों की समीक्षा करता रहा है। आंकड़ों की यह अंतरिम समीक्षा पहले नहीं हुई थी। परीक्षण पूरा होने के बाद नियामक ने आंकड़ों की समीक्षा की और प्रायोजक ने इसका विश्लेषण कर डेटा प्रस्तुत किया। इस मामले में समय एक कारक है। नियामक को परीक्षणों से दीर्घकालिक प्रतिरोधक क्षमता के आंकड़े की आवश्यकता होगी। कोई भी अब रोगजनक विषाणु के खिलाफ ऐंटीबॉडी तैयार कर सकता है। लेकिन यह देखना महत्त्वपूर्ण है कि क्या व्यक्ति मेमरी सेल प्रतिरोधक क्षमता भी तैयार कर पाता है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति लंबी अवधि यानी एक साल के बाद रोगजनक विषाणु के संपर्क में आने पर भी ऐंटीबॉडी तैयार कर लेता है। फिलहाल कोई भी टीका निर्माता कंपनी लंबी अवधि के डेटा जमा नहीं कर पाएंगी। उदाहरण के लिए, एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड टीका के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया 1600 से अधिक विषयों और तीसरे चरण के सुरक्षा और प्रतिरोधक क्षमता के लिए परीक्षण नवंबर में खत्म कर चुकी है। इसके लिए दिसंबर के पहले सप्ताह में ईयूए के लिए आवेदन किया गया है। अब कोई रास्ता नहीं है कि यह अब दीर्घकालिक डेटा मुहैया करा सके। इस प्रकार नियामक परीक्षणों से इस अंतरिम डेटा की समीक्षा करेंगे और तय करेंगे कि महामारी के दौरान इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी जाए या नहीं। लंबे समय तक वाले आंकड़े बाद में नियामक को दिए जाएंगे ताकि इनके इस्तेमाल का पूर्ण अधिकार मिल सके।
ईयूए के लिए आवेदन करने के बाद की प्रक्रिया क्या है और इसमें कितना समय लगता है?
दवा एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और इसके बाद के संशोधनों में ईयूए के बारे में कोई भी उल्लेख नहीं है। उद्योग से जुड़े अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि भारत मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं का बाजार है और अंतरिम डेटा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आपातकालीन उपयोग के लिए किसी दवा या चिकित्सा उत्पाद को मंजूरी देने की कोई अधिक आवश्यकता नहीं है। नियामक ने कोविड-19 के उपचार के लिए रेमेडिसविर और फेविपिरवीर जैसी दवाओं के लिए प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग का अधिकार दिया है। अधिनियम के खंड 26बी में कहा गया है कि केंद्र सरकार जनहित में किसी दवा का नियमन या प्रतिबंधित, निर्माण आदि कर सकती है, यदि महामारी या प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पन्न आवश्यकताओं को पूरा करना जरूरी हो। अगर लोक हित में ऐसा करना आवश्यक हो तो सरकार इस तरह की दवा के निर्माण, बिक्री या वितरण को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने के लिए एक आधिकारिक अधिसूचना द्वारा ऐसा कर सकती है।
टीके के लिए एक विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की मदद ली जाएगी, जो उपलब्ध कराए गए वैज्ञानिक आंकड़ों का विश्लेषण करेगी और किसी विशेष निर्णय पर पहुंचने के लिए भारतीय जनसांख्यिकीय द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा पर विचार करेगी। भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) इस मामले में समिति से मिलने वाली सलाह के अनुसार काम करेगा जिसमें चिकित्सक और शोधकर्ता जैसे विषय विशेषज्ञ शामिल हैं।
सूत्र बताते हैं कि इस मामले में आवेदन जमा करने के 90 दिनों के भीतर निर्णय आने की संभावना है लेकिन इसे लेकर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं है। चिकित्सकीय परीक्षण के लिए आने वाले आवेदनों के लिए, दवा एवं चिकित्सकीय परीक्षण नियम 2019 कहता है कि यदि नियामक वैश्विक स्तर पर विकसित किसी उत्पाद के लिए 90 दिनों के भीतर और स्वदेशी रूप से विकसित उत्पाद के लिए 30 दिनों के भीतर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो इसे अप्रत्यक्ष तौर पर आगे बढऩे की अनुमति के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि, ईयूए के मामले में स्पष्ट रूप से कोई नहीं जानता है कि इसे लेकर क्या कोई समयरेखा है।
क्या हम ईयूए के तहत अनुमोदित टीके की खुराक ले सकते हैं?
हां। सबसे पहले टीका संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा और फिर अंतत: यह निजी बाजार में सभी के लिए उपलब्ध होगा। फिलहाल हम महामारी के साथ जी रहे हैं और सरकार एवं नीति निर्माताओं का कहना है कि टीके को पूरे देश में इस तरह वितरित किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक आबादी के लिए जोखिम को कम किया जा सके।
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