जिंस में तेजी, उभरेंगे कंपनी जगत के नए विजेता | कृष्ण कांत / मुंबई December 07, 2020 | | | | |
धातु व ऊर्जा की कीमतों में हुई हालिया बढ़ोतरी से धातु, खनन व तेल और गैस कंपनियों का मुनाफा आगामी तिमाही में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है, लेकिन यह बाकी कंपनी जगत के मार्जिन व लाभ को झटका दे सकता है। सबसे ज्यादा झटका ऑटोमोबाइल, वाहन कलपुर्जा, कंज्यूमर ड्यूरेबल, पूंजीगत सामान, इंजीनियरिंग और एफएमसीजी आदि क्षेत्रों की कंपनियां महसूस कर सकती हैं।
भारतीय कंपनी जगत के लाभ पर इसका शुद्ध असर इस पर निर्भर करेगा कि उत्पादक व उपभोक्ता उद्योगों के बीच इसका कितना फायदा नजर आता है। दूसरी तिमाहीू में धातु व खनन कंपनियों मसलन टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, हिंदुस्तान जिंक और एनएमडीसी का संयुक्त राजस्व 1.7 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि इसके उपभोक्ता उद्योग का संयुक्त राजस्व करीब 3 लाख करोड़ रुपये रहा।
पिछली दो तिमाहियों में भारतीय कंपनी जगत को धातु व कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट का फायदा मिला। कच्चे माल व ऊर्जा लागत में कमी उनके राजस्व में गिरावट में काफी सहारा बना और सूचीबद्ध कंपनियों ने सितंबर तिमाही में शुद्ध लाभ में अच्छा खासा सुधार दर्ज किया। भारतीय कंपनी जगत का एबिटा मार्जिन सालाना आधार पर 620 आधार अंक बढ़कर तिमाही में 28.1 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। तिमाही के दौरान संयुक्त शुद्ध बिक्री सालाना आधार पर 5.2 फीसदी कम रही।
दूसरी ओर लेनदारों को ब्याज दर में तीव्र गिरावट और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के कारण फंसे कर्ज पर मोरेटोरियम का फायदा मिला। इस तरह से 2700 सूचीबद्ध कंपनियों संयुक्त शुद्ध लाभ दूसरी तिमाही मेंं सालाना आधार पर 40 फीसदी बढ़ा क्योंंकि परिचालन मार्जिन 28.1 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
ये अनुकूल बदलाव अब गायब हो रहे हैं। इस्पात कीमतें दुनिया के प्रमुख इस्पात उपभोक्ता चीन में करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ी हैं, जो इस साल अप्रैल में दर्ज किए गए 52 सप्ताह के निचले स्तर से 40 प्रतिशत की तेजी है, जबकि समान अवधि के दौरान भारत में यह 35 प्रतिशत तक की तेजी है। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) धातु सूचकांक इस साल के शुरू के अपने 52 सप्ताह के निचले स्तरों से करीब 50 प्रतिशत तक चढ़ा है। एलएमई धातु सूचकांक एल्युमीनियम, तांबा, सीसा, निकल और टिन जैसी अलौह धातुओं की कीमतों पर नजर रखता है।
इसी तरह, कच्चे तेल की कीमतें इस साल जुलाई से दोगुनी हो गई हैं। इन सब का तीसरी और चौथी तिमाही में भारतीय उद्योग जगत के लिए ऊंची निर्माण लागत के तौर पर प्रभाव दिखेगा। इस वजह से उनके लिए मजबूत मार्जिन और मुनाफा दर्ज करने की राह चुनौतीपूर्ण हो गई है।
बैंकों समेत ऋणदाताओं (शेयर बाजार में करीब 40 प्रतिशत योगदान) के लिए मार्जिन प्रभावित हो सकता है। अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल इस साल अगस्त के निचले स्तरों से करीब 40 आधार अंक तक चढ़ा है। भारत में 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल अब करीब 6 प्रतिशत के आसपास है और कई विश्लेषकों और बैंकरों को इसमें तेजी की उम्मीद हैै।
सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, 'औद्योगिक धातुओं और ऊर्जा कीमतों में ताजा तेजी की वजह से तीसरी और चौथी तिमाही में कॉरपोरेट मार्जिन में कुछ कमी आएगी। लेकिन कुल मार्जिन पिछले साल के मुकाबले बेहतर रह सकता है, क्योंकि भारत में कई प्रमुख कंपनियों को ऊंची जिंस कीमतों से मदद मिलेगी।'
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