आखिरी वक्त के लिए न टालें आयकर रिटर्न | बिंदिशा सारंग / December 06, 2020 | | | | |
पिछले वित्त वर्ष यानी आकलन वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की अंतिम तारीख नजदीक आ रही है। आम तौर पर हर साल आम करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई होती है। मगर कोरोना महामारी के कारण इस बार रिटर्न दाखिले की समय सीमा दो बार बढ़ा दी गई। पहले उसे 31 अक्टूबर किया गया और बाद में 31 दिसंबर कर दिया गया। लेकिन ध्यान रहे कि अब रिटर्न 31 दिसंबर, 2020 तक ही दाखिल किया जा सकता है। जिन करदाताओं के खातों का ऑडिट होना है, उनके लिए मियाद 1 महीने आगे तक ही है यानी उन्हें 31 जनवरी, 2021 तक रिटर्न दाखिल करने का मौका मिलेगा। मगर आखिरी मिनट के लिए रुकना समझदारी नहीं होगी क्योंकि जरा सी गड़बड़ होने पर आपको नुकसान हो सकता है।
रिफंड में देर
अगर आप रिटर्न दाखिल करने में देर करते हैं तो जाहिर तौर पर आपका कर रिफंड भी देर से ही आएगा। क्लियरटैक्स के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी अर्चित गुप्ता समझाते हैं, 'जिन करदाताओं का रिफंड बन रहा है यानी जिन्हें दावा करने पर आयकर विभाग से वसूले गए कर की वापसी होनी है, उन्हें तो बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए। उन्हें फौरन रिटर्न दाखिल कर देना चाहिए ताकि उनके रिटर्न की प्रोसेसिंग भी जल्द से जल्द हो जाए।' आयकर विभाग रिफंड की प्रक्रिया में आम तौर पर एक महीना ले ही लेता है।
लगेगा ज्यादा ब्याज
रिफंड वालों को जल्दी करने की सलाह देने का मतलब यह नहीं है कि जिनका रिफंड नहीं बन रहा, वे लेटलतीफी के शिकार हो जाएं। जिनका आयकर बकाया है, उन्हें भी फौरन हरकत में आ जाना चाहिए। गुप्ता कहते हैं, 'अगर किसी का आकयर अभी तक बकाया है यानी चुकाया जाना है तो उसे जल्द से जल्द उसका भुगतान कर देना चाहिए ताकि उसे बतौर जुर्माना किसी तरह का ब्याज नहीं चुकाना पड़े।' आकलन वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख दो बार बढ़ाई जा चुकी है मगर आयकर अधिनियम की धारा 234ए के तहत वसूले जाने वाले ब्याज में किसी तरह की राहत नहीं दी जाएगी। टैक्समैन के उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा इस गणित को समझाते हैं। उनका कहना है, 'अगर स्वत: आकलन करने पर कर की देनदारी 1 लाख रुपये से अधिक बनती है और तय तारीख तक कर नहीं चुकाया जाता है तो करदाता को धारा 234ए के तहत वास्तविक तय तारीख से कर चुकाने की तारीख तक का ब्याज भी भरना पड़ेगा। वास्तविक तारीख रिटर्न दाखिल करने की पहली तारीख यानी 31 जुलाई, 2020 या 31 अक्टूबर, 2020 थी।'
धारा 234ए के तहत बतौर जुर्माना ब्याज तब वसूला जाता है जब रिटर्न आखिरी तारीख के बाद दाखिल किया जाए या दाखिल किया ही नहीं जाए। उस सूरत में तारीख निकलने के बाद हरेक महीने के एवज में 1 फीसदी की दर से साधारण ब्याज वसूला जाता है। यहां इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि महीने का मतलब पूरा महीना नहीं है। यदि एक महीना पूरा होने के बाद आप दो दिन भी देर कर देंगे तो आपसे दो महीने का ब्याज वसूल लिया जाएगा। अपनापैसा डॉट कॉम में कर एवं निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन बताते हैं कि देर होने पर ब्याज किस तारीख से वसूला जाएगा। वह कहते हैं, 'आम करदाताओं के लिए 31 जुलाई, 2020 को रिटर्न दाखिल करने की असली तारीख माना जाएगा। जिन करदाताओं के खातों का ऑडिट होता है, उनके लिए यह तारीख 31 अक्टूबर, 2020 रहेगी।'
अब सवाल यह है कि धारा 234ए के तहत कितने महीने का ब्याज वसूला जाएगा। अलग-अलग स्थितियों में इसका हिसाब अलग-अलग तरीके से लगाया जाता है। मान लीजिए कि आप तय तारीख तक रिटर्न दाखिल करने से चूक गए और देर से दाखिल किया। मगर आप अपना पूरा कर तय तारीख से पहले ही जमा कर चुके हैं। उस सूरत में जिस तारीख को रिटर्न दाखिल किया जाना था उसके अगले दिन से ब्याज लगना शुरू हो जाएगा और जिस तारीख को रिटर्न दाखिल किया गया है उस तारीख तक ही ब्याज वसूला जाएगा। मगर रिटर्न भी देर से दाखिल किया गया हो और कर भी तय तारीख के बाद चुकाया गया हो तो क्या होगा? वाधवा के मुताबिक उसमें कुछ ज्यादा चोट लगेगी। वह बताते हैं, 'इस स्थिति में ब्याज की गणना उसी तारीख से शुरू हो जाएगी, जिस तारीख को रिटर्न दाखिल किया जाना था और उस तारीख तक ब्याज वसूला जाएगा, जिस तारीख को स्वत: आकलन के बाद कर जमा किया गया होगा।' अगर रिटर्न दाखिल ही नहीं किया जाता है तो ब्याज की गणना रिटर्न दाखिले की आखिरी तारीख के अगले दिन से ही शुरू कर दी जाएगी। उस सूरत में ब्याज उस तारीख तक जुड़ता रहेगा, जिस तारीख को आकलन अधिकारी आप पर बनने वाले आयकर की गणना करेगा।
हालांकि इस मामले में आयकर विभाग ने कुछ राहत भी दी है। यदि आप पर कर ज्यादा नहीं बनता है तो ब्याज में राहत भी मिल सकती है। जैन बताते हैं, 'यदि किसी करदाता पर स्वत: आकलन के बाद कर की देनदारी 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होती है और उसने अपना आयकर रिटर्न भी बढ़ाई गई तारीख के भीतर ही कर कर दिया होता है तो धारा 234ए के तहत लगने वाला ब्याज उससे नहीं वसूला जाता है।' इसीलिए तारीखों का ध्यान रखिए और समय पर अपना रिटर्न तथा बकाया कर चुका दीजिए।
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