सख्त नियमन और फंड की लागत तय करेगा एनबीएफसी की राह | हंसिनी कार्तिक / मुंबई December 04, 2020 | | | | |
गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के निवेशकों को आगामी महीनों में उतारचढ़ाव के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने नियामकीय आर्बिट्रेज में कमी लाने का जरिया तैयार कर दिया है, जो उन्हें बैंकों के मुकाबले उपलब्ध थे।
अपनी तरह के पहले प्रस्ताव के तहत आरबीआई गवर्नर ने एनबीएफसी के लिए लाभांश वितरण नीति की जरूरत बताई क्योंकि एनबीएफसी की अहमियत बढ़ रही है और अलग-अलग क्षेत्रों से उनका आपसी जुड़ाव भी है। इतना ही नहीं एक पखवाड़े पहले जब आरबीआई की आंतरिक कार्यसमिति ने कहा था कि 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा परिसंपत्ति वाली एनबीएफसी को बैंक में तब्दील करने की जरूरत बताई थी तब आरबीआई गवर्नर ने भी कुछ नियामकीय बदलाव की जरूरतें दोहराई थी।
आनुपातिकता के सिद्धांत पर प्रशासन के मौजूदा ढांचे से उन्होंने स्केल आधारित नियामकीय ढांचे का मामला बनाया, जो व्यस्थागत जोखिम से जुड़ा होगा। हाल के वर्षो में हुई तीव्र प्रगति को देखते हुए ये बदलाव प्रस्तावित हैं क्योंंकि तीव्र प्रगति से एनबीएफसी क्षेत्र का आकार और आपसी जुड़ाव काफी ज्यादा बढ़ा है। एसएमसी कैपिटल के सिद्धार्थ पुरोहित ने कहा, हर बार जब इस क्षेत्र में अप्रत्याशित बढ़त देखने को मिलती है तब नियामकीय हस्तक्षेप होता है। ऐसे में एनबीएफसी क्षेत्र में बदलाव को शायद टाला नहींं जा सकता। उन्होंने कहा कि हाउसिंग फाइनैंस क्षेत्र में तीव्र बढ़ोतरी को देखते हुए नियामक सतर्क हुआ है, जो उनके बाजार पूंजीकरण में भी प्रतिबिंबित होता है।
लेकिन सवाल यह है कि अगर पूंजी पर्याप्तता या परिसंपत्ति देनदारी के प्रबंधन के मामले में बैंकों की तरह सख्त नियम बनाए जाने से क्या एनबीएफसी अपनी कारोबारी रणनीति पर दोबारा विचार करेगी। ऐसा संभव है। फंड की लागत साल 2018 के स्तर पर लौट आई है। एक देसी ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषक ने कहा, पिछले दो साल में अनुपालन की लागत बढ़ी है और सख्ती भी, ऐसे में एनबीएफसी और सतर्कता से विकल्प पर नजर डाल रही होगी।
हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि कार्यसमिति की तरफ से बड़ी एनबीएफसी को बैंंक में परिवर्तित करने के विचार को तत्काल स्वीकार्यता मिलेगी, लेकिन को-लेंडिंग व को-ओरिनिजेशन ऑफ लोन रफ्तार पकड़ सकती है। उदाहरण के लिए एक साल में इंडियाबुल्स हाउसिंग व एडलवाइस फाइनैंशियल सर्विसेज ने अपना कारोबारी मॉडल में बदलाव कर उसे बैंक जैसा कर दिया है, न कि वे उनसे प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।
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