टीकाकरण के लिए राज्य कर रहे हैं तैयारी | |
विनय उमरजी, ईशिता आयान दत्त, समरीन अहमद और सोहिनी दास / 12 04, 2020 | | | | |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने मुख्यमंत्रियों के साथ कोविड-19 टीका वितरण की तैयारी पर चर्चा की थी जिसके बाद राज्यों ने टीका वितरण के लिए योजना तैयार करनी शुरू कर दी है। राज्यों से कहा गया है कि वे कोल्ड चेन प्रबंधन को लेकर अपनी योजनाएं तैयार करें और इसमें किसी भी बढ़ोतरी की जरूरत को पूरा करने, लोगों तक टीके की पहुंच के लिए डिलिवरी के बुनियादी ढांचे के इंतजाम के लिए तैयार रहा जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि कोविड-19 का सामना कर रहे अग्रिम पंक्ति के कामगारों की प्राथमिकता सूची तैयार की जाए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से टीके के उचित वितरण के लिए एक प्रणाली स्थापित करने को कहा है जिसमें करीब चार से छह सप्ताह का समय लग सकता है।
कर्नाटक में वर्तमान में टीकों के भंडारण और वितरण के लिए लगभग 2,855 कोल्ड चेन प्वाइंट हैं। बेहतर आपूर्ति शृंखला नेटवर्क और टीके का वितरण समयबद्ध तरीके से करने के लिए बेंगलूरु के शहरी जिले, शिवमोगा और बेल्लारी में तीन नए क्षेत्रीय टीका स्टोर का प्रस्ताव रखा गया है। कर्नाटक के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री के सुधाकर ने कहा, 'इन नए प्रस्तावित क्षेत्रीय टीका स्टोर में अतिरिक्त वॉक-इन-कूलर और वॉक-इन-फ्रीजर की आवश्यकता होगी। प्रदेश में इस वक्त 10 वॉक-इन-कूलर और 4 वॉक-इन-फ्रीजर हैं।' राज्यों को टीका कोल्ड चेन पर मुख्य रूप से काम करना है। मिसाल के तौर पर गुजरात को अपने कोल्ड चेन के बुनियादी ढांचे में विस्तार करने की आवश्यकता हो सकती है। गुजरात की मौजूदा टीका भंडारण क्षमताओं के साथ-साथ डीप फ्रीजर से सालाना लगभग 25 लाख से 30 लाख लाभार्थियों को कोविड-19 टीके के जरिये सेवा दी जा सकती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता होगी। दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल ब्लॉक स्तर पर भी व्यापक तापमान सीमा का प्रबंधन करने के लिए तैयार लग रहा था।
राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जहां तक बुनियादी ढांचे और कोल्ड चेन का सवाल है तो पश्चिम बंगाल कोविड टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए पूरी तरह से तैयार है। अधिकारी ने बताया, 'हम उन टीकों को भी रख सकते हैं जिन्हें ब्लॉक स्तर पर भंडारण के लिए (-)20 डिग्री सेल्सियस तक तापमान की आवश्यकता होगी। कुछ कोल्ड चेन में मामूली वृद्धि की आवश्यकता हो सकती है लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं है।' कुछ राज्यों ने पहले ही अपने कोल्ड चेन बुनियादी ढांचे में कमियों की पहचान कर ली है और इसको लेकर केंद्र से मदद मांगी है। महाराष्ट्र अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए केंद्र से छह वॉक-इन कूलर, दो वॉक-इन फ्रीजर, 150 आइस-लाइन वाले रेफ्रिजरेटर और 100 डीप फ्रीजर की उम्मीद कर रहा है। बिहार भी केंद्र से 900 आइस लाइन वाले रेफ्रिजरेटर और डीप फ्रीजर और दो वॉक इन फ्रीजर की उम्मीद कर रहा है।
महाराष्ट्र में सालाना लगभग 20 लाख बच्चों को टीका लगाया जाता है और यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित लगभग 3,150 कोल्ड चेन प्वाइंट हैं। अगला बड़ा काम टीकाकरण स्थलों की पहचान करना है। ग्रेटर मुंबई नगर निगम के अतिरिक्त निगम आयुक्त, सुरेश काकाणी ने कहा कि पोलियो के टीके से जुड़े बुनियादी ढांचे का सक्रिय रूप से मुंबई शहर के लिए उपयोग किया जाएगा। कर्नाटक ने 29,451 टीकाकरण स्थलों और 10,008 टीका लगाने वालों की पहचान की है। राज्य, स्वास्थ्यसेवा से जुड़े कर्मियों और कोविड मरीजों से जुड़े इंतजाम में लगे कामगारों से जुड़े आंकड़े भी जुटा रहे हैं जिन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। कर्नाटक ने पहले ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और लगभग 80 फीसदी निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के आंकड़े जुटाए हैं। अकेले मुंबई ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के करीब एक लाख कर्मियों का ब्योरा जमा किया है और अब निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से डेटा संकलित किया जा रहा है। कर्नाटक ने भी सभी सरकारी सुविधाओं और लगभग 80 प्रतिशत निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के आंकड़े संकलित किए हैं। करीब एक सप्ताह में ही वे इस डेटा को केंद्र के साथ साझा कर सकेंगे।
सबसे पहले टीका लगाने में किन्हें प्राथमिकता दी जाएगी वैसे लोगों की सूची महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह टीकाकरण के विभिन्न चरणों के साथ.साथ जरूरी कोल्ड चेन बुनियादी ढांचे की योजना बनाने के लिहाज से अहम होगा। उदाहरण के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि कोविड-19 का टीका उपलब्ध होने पर इसका वितरण चार चरणों में किया जाएगा जिसकी शुरुआत उन स्वास्थ्यकर्मियों से होगी जो कोविड मरीजों के इलाज में लगे हैं। दूसरे चरण में पुलिसकर्मियोंए सफाईकर्मियों और अन्य एजेंसी कर्मियों के बीच टीके का वितरण किया जाएगा। 50 से अधिक उम्र के लोगों को तीसरे चरण में टीका लगाया जाएगा जबकि 'गंभीर रूप से बीमार' लोगों को चौथे चरण में टीका मिलेगा।
कोल्ड चेन की बात करें तो गुजरात थोड़ा पीछे है। प्रदेश में करीब 2,200 कोल्ड चेन प्वाइंट हैं। इसकी तुलना में कर्नाटक में टीकों के भंडारण और वितरण के लिए 2,855 कोल्ड चेन प्वाइंट हैं जबकि महाराष्ट्र के 3,150 कोल्ड चेन प्वाइंट हैं। अपेक्षाकृत छोटे आकार के राज्य बिहार में केवल 674 कोल्ड चेन प्वाइंट हैं। भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान (आईआईपीएच) में टीकाकरण विशेषज्ञ और संकाय सदस्य अनीश सिन्हा के अनुसार, कोल्ड चेन के मौजूदा बुनियादी ढांचे को देखते हुए, गुजरात को कोविड-19 टीके के लिए अपनी तैयारी के तहत क्षमता में थोड़ा विस्तार करना पड़ सकता है। सिन्हा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'हमें याद रखना चाहिए कि टीका बड़ी तादाद में नहीं आएगा लेकिन निश्चित तौर पर इसकी मात्रा बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार और झारखंड में कोई बड़ी समस्या नहीं होगी लेकिन गुजरात को अपनी कोल्ड स्टोरेज क्षमता का थोड़ा विस्तार करना पड़ सकता है या टीका लगाने के लिए कुछ महीने तक समयसीमा टालनी पड़ सकती है।'
बिहार और झारखंड में ब्लॉक स्तर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीएचसी) मॉडल का अनुसरण किया जाता है जिसके जरिये कम से कम एक से दो लाख की आबादी को सेवाएं दी जाती है। वहीं गुजरात और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में भी 30,000 आबादी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जिसकी वजह से दूरदराज के इलाके में रहने वाली आबादी के लिए भी कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध हो सकेगा। यह कोविड-19 टीके के वितरण में उस वक्त काम आ सकता है जब खुराक आने लगेगी। राज्य में मौजूदा प्रणाली में लगभग 2,200 कोल्ड चेन प्वाइंट हैं जो टीके के भंडारण के लिए 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर आइस-लाइन रेफ्रि जरेटर (आईआर) से लैस हैं। इसके साथ ही केंद्र डीप फ्रीजर से भी लैस हैं जो (-)15 से (-)25 डिग्री सेल्सियस के तापमान को भी बनाए रख सकता है और इसका इस्तेमाल आइस पैक बनाने के लिए किया जा सकता है जो 12-18 घंटे तक तापमान बनाए रख सकता है और इसका इस्तेमाल दूरदराज के स्थानों पर टीके ले जाने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा इन केंद्रों में इंसुलेटेड कोल्ड बॉक्स भी हैं जिनका इस्तेमाल आइस पैक की मदद से बिजली गुल होने या आईएलआरएस की कमी की स्थिति में टीका भंडार करने के लिए किया जा सकता है और 4-5 दिन तक दो से आठ डिग्री सेल्सियस तक तापमान बनाए रखा जा सकता है। इसी वजह से राज्य इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए कार्यबल या समितियों का गठन कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर पश्चिम बंगाल ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को आश्वस्त किया है कि राज्य टीकाकरण के लिए प्रशिक्षित कर्मियों और आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ पूरी तरह से तैयार है। राजस्थान ने भी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक ऐसी ही संचालन समिति का गठन किया है वहीं राज्य स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय कार्यबल भी बनाया गया है।
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