किसान आंदोलन की मार दिल्ली के उद्योग पर भी पड़ सकती है। इस आंदोलन से दिल्ली के उद्योगों में माल की आवाजाही बाधित हो सकती है। हालांकि अभी आंदोलन का उद्योग पर असर नहीं पड़ा है, लेकिन आंदोलन एक सप्ताह और खिंच गया तो उद्योग के लिए माल की आपूर्ति शृंखला टूटने का डर है। उद्यमियों को माल की आवाजाही प्रभावित होने के साथ ही कारखानों में कामगारों की किल्लत का भी खटका है क्योंकि बड़ी संख्या में कामगार दिल्ली के सीमावर्ती शहरों से आते हैं। किसान आंदोलन से ट्रांसपोर्टरों को भी कारोबार छिनने का डर सता रहा है। दिल्ली में रोजाना करीब 700 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा कहते हैं कि दिल्ली देश के व्यापार का बडा वितरण केंद्र है। उत्पादन केंद्रों से बडी मात्रा में तैयार माल पहले दिल्ली आता है फिर यहां से दूसरे राज्यों को इसकी आपूर्ति होती है। अभी किसानों ने सिंघु बॉर्डर ही घेरा है, लेकिन वे दूसरे बॉर्डर भी बंद करने की चेतावनी दे रहे हैं। अगर ऐसा हुआ और आंदोलन लंबा चला तो दिल्ली के बाजारों के कारोबारियों को काफी नुकसान होगा क्योंकि बाजारों से माल दूसरे राज्यों को नहीं जा पाएगा। पटपडग़ंज आंत्रप्रन्योर एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक संजय गौड़ ने बताया कि सप्ताह भर भी आंदोलन खिंचने पर उद्योग के लिए माल की आपूर्ति शृखला टूट जाएगी। इस आंदोलन से न केवल उद्योग के लिए कच्चे माल की आवक और तैयार माल की आपूर्ति प्रभावित होगी, बल्कि कारखानों में कामगारों की किल्लत भी हो सकती है क्योंकि दिल्ली के कारखानों में बड़ी संख्या में कामगार नोएडा, गाजियाबाद समेत अन्य सीमावर्ती शहरों से आते हैं। किसानों द्वारा सभी बॉर्डर सील करने पर ये कामगार भी नहीं आ पाएंगे। दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर कहते हैं कि लॉकडाउन की मार से ट्रांसपोर्टर अभी ढंग से उबरे भी नहीं है कि उनके ऊपर किसान आंदोलन से नई मुसीबत आने वाली है। अभी तक सिंघु बार्डर के अलावा दूसरे बॉर्डर से माल आ-जा रहा है। हालांकि इसके लिए 70—80 किलोमीटर अतिरिक्तचक्कर लगाना पड़ रहा है। किसानों की चेतावनी के अनुसार दिल्ली में प्रवेश के सभी बॉर्डर बंद हो गए तो कारोबार ठप ही हो जाएगा। सबसे ज्यादा दिक्कत माल से लदे लंबी दूरी से आ रहे ट्रकों को होने वाली है क्योंकि बार्डर बंद होने से इन्हे रास्ते में ही खड़ा रहना पडेगा। कारोबारी और टांसपोर्टरों के बीच माल की बुकिंग कंरने को लेकर डर का माहौल है कि कहीं आंदोलन के कारण माल और ट्र्रकों को नुकसान न पहुंचे।।
