डीएचएफएल के लिए ताजा बोली की सलाह | देव चटर्जी / मुंबई December 01, 2020 | | | | |
भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) के लेनदारों की समिति (सीओसी) को सलाह दी है कि उन्हें परिसंपत्तियों के अधिकतम मूल्य के लिए आगे बढऩा चाहिए और इस दिवालिया आवास वित्त कंपनी के लिए नए सिरे से बोली आमंत्रित करना चाहिए। सभी बोलीदाताओं को एक और अवसर देने संबंधी डीएचएफएल के ऋणदाताओं के निर्णय रोहतगी की इसी राय पर आधारित हो सकती है।
लेनदारों की समिति ने पीरामल समूह, एससी लॉवी और ओकट्री जैसे डीएचएफएल के कुछ बोलीदाताओं द्वारा अदाणी की काफी अधिक बोली का विरोध किए जाने के बाद रोहतगी से राय ली थी। इन बोलीदाताओं ने अदाणी की उच्च बोली पर जताते हुए पूरी बोली प्रक्रिया से बाहर होने की धमकी दी थी। रोहतगी ने कहा, 'मेरे विचार से प्रशासक/लेनदारों की समिति को सभी प्राप्त संशोधित बोलियों पर अवश्य विचार करना चाहिए जिसमें पूरी कंपनी के लिए अदाणी की बोली भी शामिल है। मैंने गौर किया है कि अदाणी की यह बोली 17 नवंबर की विस्तारित समय सीमा के भीतर प्रशासक/लेनदारों की समिति को प्राप्त हुई है। आईबीसी के तहत समाधान आवेदकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का विचार है जो यह सुनिश्चित करता है कि कॉरपोरेट देनदार की परिसंपत्तियों का अधिकतम मूल्य आमलोगों के हित में होगा।'
वरिष्ठ वकील ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए अदाणी ने अपनी बोली में संशोधन किया है जो उसकी पिछली बोली से काफी अलग है क्योंकि वह पूरी कंपनी के लिए है। ऐसे में अन्य बोलीदाताओं को भी उचित बोली लगाने के लिए एक और अवसर दिया जाना चाहिए और यदि ओकट्री, पीरामल एवं एससी लॉवी पूरी कंपनी के लिए संशोधित बोली लगाना चाहते हैं और वे पात्र हैं तो उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए।
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