मुंबई स्थित दवा कंपनी वॉकहार्ट ने कहा कि वह टीका बनाने के लिए जरूरी दवा उत्पादों को बनाने की साझेदारी पाने के लिए वैश्विक टीका निर्माताओं के साथ बातचीत कर रही है। साथ ही, कंपनी भारतीय इकाई केंद्र से टीका वितरण के लिए भी बात कर रही है जिसकी क्षमता सालाना एक अरब खुराक निर्माण करने की है। ये दवा उत्पाद टीका बनाने के लिए कच्चे माल की तरह उपयोग में लाए जाते हैं। इस बीच, कंपनी ने बताया कि ब्रिटेन सरकार ने 18 महीने की अवधि हेतु अपने अनन्य उपयोग के लिए कंपनी की एक उत्पादन इकाई को आरक्षित कर दिया है, जिससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आवश्यक टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। यह एक 'फिल ऐंड फिनिश' फैसिलिटी केंद्र होगा जहां एस्ट्राजेनेका जैसे टीका निर्माताओं से टीका लेकर उसकी शिपिंग से पहले इसे अपने संयंत्र में शीशियों में भरा जाएगा। संबंधित तैयारियों की समीक्षा करने के लिए ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को वॉकहार्ट की इस इकाई का दौरा किया। ब्रिटेन स्थित इकाई की क्षमता 35 करोड़ है और अगर इसका पूरी क्षमता के साथ उपयोग किया जाता है तो 10 करोड़ डॉलर या इससे अधिक का कारोबार होगा। शुरुआती चरण में, ब्रिटेन स्थित इकाई एस्ट्राजेनेका की सालाना आधार पर 10 करोड़ खुराक बनाएगी। मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए वॉकहार्ट के अध्यक्ष हबील खोराकीवाला ने कहा, 'हम कई टीका निर्माताओं से बातचीत कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कंपनी अनुबंध निर्माण के तहत काम करने वाली कंपनियों से भी साझेदारी करने पर विचार कर रही है, जिसमें भारत समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में टीका वितरण भी शामिल है। वॉकहार्ट की औरंगाबाद इकाई जैविक दवाओं का निर्माण कर सकती है जिनका उपयोग कुछ प्रकार के टीके बनाने के लिए किया जा सकता है। कंपनी बायोलॉजिकल उत्पादों का उत्पादन करने के लिए खमीर, ई-कोलाई और मेमालियन कोशिकाओं आदि पर काम कर रही है। इनका इस्तेमाल टीका निर्माताओं द्वारा टीके बनाने के लिए किया जाता है। अमेरिका स्थित मॉडर्ना जैसी वैश्विक कंपनियां भी भारतीय साझेदारों से बात कर सकती हैं, जो उनके टीके को भरकर अंतिम रूप दे सकती हैं और वितरण में भी सहायता कर सकती हैं। मॉडर्ना का टीका 30 दिनों के लिए सामान्य फ्रिज के तापमान पर 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है । हालांकि माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर इसे 6 माह तक स्टोर किया जा सकता है। इसलिए, एक स्थानीय साझेदार होने से टीका वितरण में मदद मिलेगी। खोराकीवाला ने बातचीत कर रही वैश्विक कंपनियों के नाम बताने से इंकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि टीकों को बनाने के लिए, भारतीय इकाइयों पर किसी बड़े पूंजीगत व्यय की आवश्यकता नहीं होगी। एक बार टीका निर्माता अपनी तकनीक स्थानांतरित कर दें तो वॉकहार्ट अपने सिस्टम के जरिये विनिर्माण शुरू कर सकती है। खोराकीवाला ने कहा कि वर्तमान में 5-6 अरब खुराक बनाने के लिए विनिर्माण क्षमता मौजूद है, जबकि पूरी वैश्विक आबादी का टीकाकरण करने के लिए 15 अरब खुराक की जरूरत है।
