उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के औद्योगिक पार्कों के लिए जमीन की न्यूनतम सीमा हटाने के बाद योगी सरकार अब और प्रोत्साहनों का ऐलान करेगी। निजी क्षेत्र में औद्योगिक पार्क स्थापित करने के लिए जरूरी नेटवर्थ व टर्नओवर की सीमा में भी कमी की जाएगी। इसके लिए नीति में बदलाव किए जाएंगे। प्रदेश सरकार ने औद्योगिक पार्कों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए नीति में कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) के गठन की प्रक्रिया में संशोधन व आवेदक कंपनी के लिए न्यूनतम नेटवर्थ के निर्धारण का फॉर्मूला तय करने की योजना है। उत्तर प्रदेश की निजी औद्योगिक पार्कों की स्थापना के लिए बनाई गयी नीति के तहत व्यवस्था है कि विकासकर्ता को स्टांप ड्यूटी में छूट को छोड़कर कोई भी सहूलियत या छूट तभी दी जाएगी जबकि उसके द्वारा निवेश को पूरा कर परियोजना को संचालित कर लिया गया हो। निवेशकों का कहना है कि जिनके पास पहले से ही भूमि उपलब्ध है, वे परियोजनाएं तेजी से पूरी हो सकती हैं। इसलिए ऐसे प्रस्तावों को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिनके पास पहले से ही भूमि उपलब्ध है। इसके साथ ही उद्योग संगठनों व निवेशकों की मांग है कि नीति में नेटवर्थ व टर्नओवर की आवश्यकता इस उद्देश्य के साथ रखी गई थी कि जिस प्रस्तावक को शासन द्वारा लेटर आफ कंफर्ट (एलओसी) जारी किया जा रहा है, उसके प्रस्तावक के पास वित्तीय क्षमता हो। इसे स्पष्ट किए जाने की जरूरत है। तीसरा, स्पेशल परपज व्हीकल की अपनी कोई नेटवर्थ नहीं होती है। ऐसे में एसपीवी गठन की प्रक्रिया को संशोधित कर इसे तर्कसंगत बनाया जाए। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन की अध्यक्षता में बैठक कर निवेशकों की दिक्कतों पर विचार करते हुए प्रस्ताव तैयार किया गया है कि आवेदक के लिए न्यूनतम नेटवर्थ डीपीआर में आकलित परियोजना लागत का 25 फीसदी होना चाहिए। साथ ही पिछले 3 सालों में न्यूनतम सालाना औसत टर्नओवर आकलित परियोजना लागत के समान होनी चाहिए। लेकिन अगर निजी विकासकर्ता के पास परियोजना के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल के बराबर जमीन उपलब्ध है तो नेटवर्थ व टर्नओवर के निर्धारित न्यूनतम मानक की आवश्यकता नहीं होगी। नयी बनने वाली एसपीवी की स्थिति में नेटवर्थ तथा टर्नओवर की शर्तों को एसपीवी की मूल कंपनी द्वारा पूरा किया जा सकेगा। गौरतलब है कि योगी सरकार ने निजी क्षेत्र के औद्योगिक पार्क की स्थापना के लिए जरूरी भूमि की सीमा को पहले ही हटा दिया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 में बदलाव किए गए हैं। अब प्रदेश में बुंदेलखंड व पूर्वांचल में निजी क्षेत्र कम से कम 20 एकड़ जमीन में औद्योगिक पार्क बना सकेंगे। मध्यांचल व नोएडा गाजियाबाद सहित पश्चिमांचल में निजी औद्योगिक पार्क बनाने के लिए 30 एकड़ या उससे अधिक जमीन की जरूरत होगी।
