सस्ते कर्ज की कीजिए तलाश | संजय कुमार सिंह / November 30, 2020 | | | | |
क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंकों और कंपनियों को कोविड-19 के बीच बकाया फंसने की चिंता सताने लगी है। 30 सितंबर को खत्म तिमाही के दौरान एसबीआई काड्र्स ऐंड पेमेंट्स की सकल गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) यानी फंसे हुए बकाये में 4.3 फीसदी इजाफा देखा गया, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में इसमें केवल 1.4 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। ऐक्सिस बैंक ने भी हाल ही में कहा कि अधिक जोखिम वाली किसी भी श्रेणी में अपने कर्ज को वह उचित सीमा तक ही रखना चाहता है।
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज देने वाली सभी कंपनियां और बैंक महामारी फैलने के बाद से हाथ रोककर चलने लगे हैं। कर्ज की किस्तें चुकाने में मिली मोहलत यानी मॉरेटोरियम ने तो उन्हें और भी खबरदार कर दिया है। पैसाबाजार डॉट कॉम के निदेशक साहिल अरोड़ा बताते हैं, 'महामारी के बाद शुरुआती दो महीनों में यानी जून तक नए क्रेडिट कार्ड जारी करना या दूसरी तरह के कर्ज देना करीब-करीब बंद ही कर दिया गया था। कुछ कंपनियां और बैंक तो एक कदम आगे बढ़ गए और उन्होंने मॉरेटोरियम लेने वालों से क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की सुविधा ही छीन ली यानी मॉरेटोरियम के दौरान वे कार्ड से किसी तरह का भुगतान नहीं कर सकते थे।'
जुलाई में नए कार्ड जारी किया जाना और नए सिरे से कर्ज दिया जाना एक बार फिर शुरू कर दिया गया है। मगर कार्ड और कर्ज वेतनभोगी ग्राहकों को ही दिया जा रहा है और उन क्षेत्रों में काम करने वालों को तरजीह दी जा रही है, जिन पर महामारी का कोई असर नहीं पड़ा है। जिनका अपना रोजगार है या जो लोग कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए क्षेत्र में काम करते हैं, उन्हें अब भी नया क्रेडिट कार्ड हासिल करने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि जब भी मंदी आती है तो क्रेडिट कार्ड के बकाये में चूक भी बहुत बढ़ जाती है। माईलोनकेयर डॉट इन के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी गौरव गुप्ता कहते हैं, 'नॉन-प्रीमियम और शुरुआती स्तर के कार्डों में चूक ज्यादा होगी।'
कर्ज देने वाली संस्थाएं भी इस समय बेहतर ग्राहकों की तलाश कर रही हैं। फिनवे फाइनैंशियल सर्विसेज कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी रचित चावला समझाते हैं, 'अच्छी माली हैसियत वाले जो ग्राहक अपना बकाया इस दौरान भी चुकाते रहे, उन्हें नया क्रेडिट कार्ड हासिल करने में या क्रेडिट लिमिट बढ़वाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही है। लेकिन कर्ज देने वाली कंपनियां उनके बारे में सतर्क हो गई हैं, जिन्होंने मॉरेटोरियम की सहूलियत ली थी या बकाया चुकाने में जिनसे चूक हो गई।'
आप चाहे कितनी भी आर्थिक दिक्कत में क्यों न फंसे हों, अपने क्रेडिट कार्ड का न्यूनतम बकाया (जो आम तौर पर कुल बकाये के 10 फीसदी से अधिक नहीं होता) हर हाल में चुकाते रहें। गुप्ता कहते हैं, 'अगर आप उसे नहीं चुकाते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर कम हो जाएगा।' क्रेडिट कार्ड में अगर आप न्यूनतम राशि चुकाकर बकाया आगे बढ़ाते रहते हैं (इसे रिवॉल्विंग क्रेडिट कहा जाता है) तो उस पर 30 से 49 फीसदी तक ब्याज वसूला जाता है। इसीलिए न्यूनतम बकाया कुछ समय के लिए राहत दे सकता है और जल्द से जल्द पूरा बकाया चुकाने की कोशिश करनी चाहिए।
अगर आपकी नकदी की किल्लत लंबे अरसे तक चलने वाली है तो अपने कार्ड पर बकाया रकम को मासिक किस्तों (ईएमआई) में तब्दील करा लें। यह बात अलग है कि उन पर भी 18 से 20 फीसदी या उससे भी ज्यादा ब्याज लगता है।
क्रेडिट कार्ड में बैलेंस ट्रांसफर एक और विकल्प है। यह एक तरह से क्रेडिट कार्ड का बकाया चुकाने के लिए पर्सनल लोन लेने जैसा है। पर्सनल लोन पर अमूमन 11 से 24 फीसदी की दर से ब्याज लिया जाता है। अच्छी कंपनियों में काम करने वालों को 11 से 14 फीसदी ब्याज पर भी पर्सनल लोन मिल सकता है।
जिनका होम लोन चल रहा है वे अपने लोन पर टॉप-अप लोने की कोशिश कर सकते हैं। इसमें ब्याज दर 8-10 फीसदी या उससे भी कम होती हैं। मगर इसमें होम लोन की ही तरह लंबी अवधि के लिए कर्ज मिल जाता है, इसलिए ईएमआई का बोझ ज्यादा नहीं होता। साथ ही आपको कर्ज के लिए अलग से किसी तरह की जमानत या रेहन की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन यह विकल्प भी उन्हीं लोगों के लिए होता है, जिन्होंने अपनी संपत्ति या मकान का कब्जा ले लिया है और उसकी रजिस्ट्री भी करा ली है।
जिन लोगों के पास सोने के गहने पड़े हैं, वे गोल्ड लोन लेने की भी सोच सकते हैं। उसमें औसतन 11-12 फीसदी की दर से ब्याज देना पड़ता है। अरोड़ा वेतनभोगी कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में मौजूद अपनी रकम में से निकासी करने की सलाह भी देते हैं। सरकार ने ईपीएफ के ग्राहकों को अच्छी खासी रकम निकालने की सहूलियत दे दी है। उनकी कुल जमा रकम के 75 फीसदी या तीन महीने की तनख्वाह (मूल वेतन+महंगाई भत्ता) में से जो भी रकम कम हो, उसे निकाला जा सकता है।
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