पीक मार्जिन मानकों के क्रियान्वयन की मौजूदा समय-सीमा तीन महीने तक बढ़ाने और पर्याप्त मार्जिन कायम रखने में विफल रहने पर जुर्माने में कमी लाने की उम्मीद के साथ वैश्विक निवेशकों ने बाजार नियामक से संपर्क किया है। नए मानकों में कैश और डेरिवेटिव सेगमेंटों में अग्रिम मार्जिन संग्रह की जांच के लिए नया ढांचा निर्धारित किया गया है। विदेशी निवेशकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एशिया सिक्योरिटीज इंडस्ट्री ऐंड फाइनैंशियल मार्केट्स एसोसिएशन (आसिफमा) ने बाजार नियामक सेबी को लिखे पत्र में कहा है कि सर्कुलर पर अमल करने के लिए सभी बाजार कारोबारियों द्वारा वैकल्पिक समाधान की आवश्यकता होगी जिसके लिए काफी समय की जरूरत हो सकती है। आसिफमा ने सेबी को भेजे पत्र में अनुरोध किया है कि जुर्माने पर सीमा लगाई जाए, जो कुल वैल्यू का 1 प्रतिशत है। उसने कहा है, 'हमने कहा है कि 1 प्रतिशत जुर्माना भी काफी ज्यादा है। उदाहरण के लिए, मौजूदा उल्लंघन के लिए, 100,000 रुपये की जुर्माना सीमा है।' आसिफमा के साथ साथ फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन ने भी दो वैकल्पिक समाधानों के साथ नए मानकों के क्रियान्वयन के लिए परिचालन दिशा-निर्देश के तहत उचित व्यावहारिक समाधान भी सुझाया है। उसने कहा है, 'बाजार में अनिश्चितता और भारत में संस्थागत ग्राहकों को व्यवसाय करने की प्रक्रिया आसान बनाने की राह में नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के प्रयास में हमने सेबी से प्रस्तावित समाधान को अपनाने और एक्सचेंजों तथा क्लियरिंग निगमों को व्यवस्था में बदलाव के प्रति ढलने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने के लिए क्रियान्वयन समय-सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है।'
