दो प्रमुख यूरोपीय ब्रोकरेज कंपनियों ने अनुमान जताया है कि उभरते बाजार (ईएम) के शेयर बाजार अगले कुछ महीनों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन भारत का परिदृश्य महंगे मूल्यांकन की वजह से कम आकर्षक दिख रहा है। यूबीएस का मानना है कि वैश्विक इक्विटी (खासकर उभरते बाजार-ईएम) द्वारा आगामी 3-4 महीनों में शानदार प्रदर्शन किए जाने की संभावना है। ब्रोकरेज भारत को लेकर तटस्थ है और उसने वर्ष 2021 के लिए 25 प्रतिशत और 2022 के लिए 15 प्रतिशत की ईपीएस वृद्घि का अनुमान जताया है। वह दक्षिण कोरिया और जापान पर सकारात्मक है, लेकिन चीन, ताइवान और हॉन्गकॉन्ग पर नकारात्मक। उसे एसऐंडपी-500 के अगले साल 4,200 पर पहुंच जाने की संभावना है, जो मौजूदा स्तरों से करीब 13 प्रतिशत की संभावित वृद्घि है। यूबीएस ने कहा है, 'हालांकि वृद्घि और आय 2021 में सुधर सकती है, लेकिन ताजा प्रदर्शन से भारत का मूल्यांकन कम आकर्षक क्षेत्र (आसियान के विपरीत) में तब्दील हो गया है।' यूबीएस का कहना है कि सुधार के मोर्चे पर प्रगति, बजट घाटे का आकार और लॉकडाउन में नरमी, नजर रखे जाने वाले कारकों में शामिल थे। क्रेडिट सुइस का अनुमान है कि उभरते बाजार की परिसंपत्तियां (बॉन्ड और शेयर, दोनों) अच्छा प्रदर्शन करेंगी और अमेरिकी डॉलर में कमजोरी बनी रहेगी। उसका मानना है कि महामारी के शुरुआत केबाद से राहत उपायों के साथ साथ आर्थिक सुधारों से वित्तीय परिसंपत्तियों, खासकर इक्विटी को आने वाले वर्ष में मदद मिलेगी। क्रेडिट सुइस ने कहा है, 'इक्विटी बाजार लगातार आकर्षक प्रतिफल मुहैया कराएंगे, खासकर कम प्रतिफल वाले बॉन्डों के मुकाबले। हमें उम्मीद है कि उभरते बाजार की इक्विटी मजबूत होंगी और जर्मन शेयरों में तेजी दिखेगी। हमारे पसंदीदा क्षेत्रों में हेल्थकेयर और धातु मुख्य रूप से शामिल हैं और सुधार की राह मजबूत होने से चक्रीयता वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त अवसर दिखेंगे।' हालांकि ब्रोकरेज फर्म ने भारतीय बाजारों पर नकारात्मक रेटिंग दी है। ब्रोकरेज का कहना है, 'भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 के बावजूद इस महामारी केंद्रित मंदी से उभरती दिख रही है। हालांकि हम उसके महंगे मूल्यांकन (अन्य एशियाई बाजारों की तुलना में) की वजह से इस बाजार पर नकारात्मक बने हुए हैं।' यूबीएस का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी की वजह से इस साल अप्रैल और सितंबर के बीच करीब 30 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा।
