लॉकडाउन: केंद्र की मंजूरी जरूरी | रुचिका चित्रवंशी / November 25, 2020 | | | | |
देश के कई हिस्सों में कोविड के मामलों में तेजी देखी जा रही है और सरकारों ने राज्यों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं ताकि महामारी को पूरी तरह से दूर करने के लिए रोकथाम उपायों, निगरानी और सावधानी बरतने के नियमों को सख्ती से लागू किया जा सके। यह दिशानिर्देश 1 दिसंबर से लेकर महीने के अंत तक प्रभावी रहेंगे। राज्यों को हालात का आकलन करते हुए कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए रात में कफ्र्यू लगाने जैसे स्थानीय प्रतिबंधों की अनुमति दी गई है। लेकिन केंद्र सरकार के साथ पहले परामर्श किए बगैर राज्य संक्रमण वाले निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर कोई स्थानीय लॉकडाउन नहीं लगा सकते।
शहरों में, जहां साप्ताहिक आधार पर आने वाले पॉजिटिव मामलों की दर 10 फीसदी से अधिक है वहां राज्यों को कार्यालय का अलग समय तय करने के लिए कहा गया गया है। साथ ही अन्य उपाय करने के साथ.साथ एक ही वक्त में आने वाले कर्मचारियों की तादाद कम करने जैसा कदम उठाने के लिए भी सुझाव दिया गया है। भीड़भाड़ वाले स्थानों, खासतौर पर बाजारों, साप्ताहिक बाजारों और सार्वजनिक परिवहन में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने के लिए गृह मंत्रालय ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एक मानक परिचालन प्रक्रिया जारी करेगा जिसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सख्ती से लागू किया जाएगा। गृह मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पड़ोसी देशों के साथ हुई संधियों के तहत भूमि-सीमा व्यापार के साथ-साथ व्यक्तियों और वस्तुओं की राज्य के भीतर या फिर एक राज्य से दूसरे राज्यों में आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इस तरह की गतिविधि के लिए अलग से अनुमति या ई-परमिट की जरूरत नहीं होगी।
सरकार ने कहा है कि स्थानीय जिला, पुलिस और नगर निगम के अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे कि रोकथाम से जुड़े निर्धारित उपायों का कड़ाई से पालन किया जाए और राज्य सरकारें संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करेंगी। निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर जैसे कि यात्रियों की अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा की अनुमति गृह मंत्रालय द्वारा दी गई, 50 फीसदी दर्शकों के साथ सिनेमा हॉल और थिएटर खोलने, हॉल की क्षमता के अधिकतम 50 फीसदी तक सामाजिक, सांस्कृतिक, मनोरंजनात्मक या धार्मिक समारोह करने, बंद स्थानों में 200 व्यक्तियों की सीमा के साथ कुछ प्रतिबंधों के साथ गतिविधियों की अनुमति दी गई है। हालांकि राज्यों को हालात के आधार पर इस ऊपरी सीमा को कम करने की अनुमति दी गई है जो 100 व्यक्ति या इससे कम हो सकती है।
रोकथाम वाले निषिद्ध क्षेत्रों के भीतर इस मकसद के लिए गठित निगरानी टीमों द्वारा घर-घर की निगरानी करने के साथ ही इतना नियंत्रण होना चाहिए कि चिकित्सा आपात स्थिति को छोड़कर और आवश्यक वस्तुओं तथा सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के अलावा इन क्षेत्रों में या बाहर लोगों की कोई आवाजाही न हो। ऐसे क्षेत्रों में संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों की सूची भी तैयार की जाएगी साथ ही उनकी पहचान करने के साथ निगरानी और क्वारंटीन रखने की प्रक्रिया पर भी ध्यान देने के साथ ही संपर्क वाले लोगों पर 14 दिन नजर रखी जाएगी। ऐसे क्षेत्रों में संक्रमितों के 80 फीसदी संपर्क का पता 72 घंटे में लगाया जाएगा।
गृह मंत्रालय ने एक पत्र में कहा है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देश एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है लेकिन पिछले दो महीनों में सक्रिय मामलों की संख्या में लगातार गिरावट आई है पर कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थिति खराब हो गई है। हाल ही में त्योहारों के मौसम, सर्दियों की शुरुआत और कोविड-19 के दिशानिर्देशों के पालन में ढिलाई की वजह से स्थिति और नाजुक हो गई है और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ा है। गृह मंत्रालय ने कहा, 'प्रत्येक नागरिक को कोविड-19 के खतरे को देखते हुए उचित कदम अपनाना चाहिए और गतिविधियों को बहाल करते हुए यह जरूर ध्यान देना चाहिए कि महामारी के प्रबंधन में हासिल हुए फायदे को नकारा न जाए।'
कमजोर व्यक्तियों मसलन 65 साल से अधिक उम्र के लोगों, कई अन्य बीमारियों वाले व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों को आवश्यक काम पूरा करने या स्वास्थ्य
देखभाल के अलावा घर पर ही रहने की सलाह दी गई है। दिशानिर्देशों में बताया गया कि आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप्लीकेशन के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलता रहेगा।
|