बाजार हिस्सेदारी और ज्यादा ग्राहक हासिल करने की कोशिश फुल सर्विस ब्रोकरों को ब्रोकरेज घटाने और डिस्काउंट वाले ब्रोकिंग मॉडल की ओर ले जा रहा है। फुल सर्विस ब्रोकर कोटक सिक्योरिटीज ने गुरुवार को ट्रेड फ्री प्लान की पेशकश की, जिसमें इंट्राडे कारोबार के लिए शून्य ब्रोकरेज और अन्य सभी वायदा व विकल्प ट्रेड (इक्विटी, कमोडिटी व करेंसी) के लिए 20 रुपये प्रति ऑर्डर वसूलने की घोषणा की। इस पेशकश से कोटक सिक्योरिटीज को वायदा व विकल्प के क्षेत्र में बाजार हिस्सेदारी सुधारने में मदद मिलेगी। कोटक सिक्योरिटीज ऐसा करने वाली इकलौती ब्रोकेरज फर्म नहीं है। सितंबर में अन्य फुल सर्विस ब्रोकर शेयरखान ने एक अलग कंपनी के जरिये एसप्रेसो प्लेटफॉर्म पेश कर डिस्काउंट ब्रोकिंग के क्षेत्र में कदम रख दिया था। एसप्रेसो के तहत सिर्फ 20 रुपये प्रति ऑर्डर वसूला जाता है जब क्लाइंट इंट्राडे कारोबार में इक्विटी, एफऐंडओ, कमोडिटी और करेंसी में मुनाफा कमाते हैं। इसके अलावा डिलिवरी आधारित लेनदेन पर कोई ब्रोकरेज नहीं लिया जाता। फुल सर्विस ब्रोकर शोध व सलाहकारी सेवाओं समेत कई तरह की सेवाएं मुहैया कराते हैं। डिस्काउंट ब्रोकर वेब आधारित प्लेटफॉर्म की पेशकश करते हैं और वह भी शोध व सलाह के बिना। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी बी. गोपकुमार के मुताबिक, किसी फुल सर्विस ब्रोकर के लिए पूरी तरह से डिस्काउंट ब्रोकिंग मॉडल अपनाना मुश्किल हो सकता है। उन्होंंने कहा, काफी ग्राहक शोध व सलाहकारी सेवाओं पर आश्रित होते हैं, जो डिस्काउंट मॉडल में नहीं मिलता। खास तौर से एफऐंडओ में कीमत में नवोन्मेष का बाजार है जहां ग्राहक रकम गंवा सकते हैं। ऐसे में हाइब्रिड मॉडल सबसे अच्छी तरीके से काम करेगा। पिछले कुछ वर्षों में डिस्काउंट ब्रोकरोंं का कारोबार काफी बढ़ा है और उन्होंंने फुल सर्विस ब्रोकरों से हिस्सेदारी हासिल की है। 10 अग्रणी ब्रोकरों में सबसे ज्यादा सक्रिय क्लाइंट आधार वाली जीरोधा, आरकेएसवी और 5पैसा कैपिटल डिस्काउंट ब्रोकर है। एक्सचेंज पर अब सूचीबद्ध ऐंजल ब्रोकिंग ने डिस्काउंट ब्रोकरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए साल 2019 में अपनी ब्रोकरेज योजना में दो बार बदलाव किया। अब वह ऐंजल आईट्रेड प्राइम के जरिए एखसमान दर वाली ब्रोकरेज योजना की पेशकश करती है जहां फ्री इक्विटी डिलिवरी दी जाती है और इंट्राडे, एफऐंडओ, करेंसी और कमोडिटी लिए 20 रुपये प्रति ट्रेड वसूला जाता है। ऐंजल ब्रोकिंग के सीईओ विनय अग्रवाल ने कहा, चूंकि डिस्काउंट ब्रोकर अच्छी खासी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रहे हैं, ऐसे में फुलसर्विस ब्रोकरोंं केपास उसी राह पर चलने या अपनी कीमतें आकर्षक बनाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उद्योग पर नजर रखने वालों का हालांकि मानना है कि जब डिस्काउंट मॉडल की बात आती है तो साख आदि बनाना चुनौती से कम नहींं है।
