पंजाब में किसानों के विरोध के कारण भारतीय रेलवे की ट्रेन सेवाओं के अवरुद्घ होने से पिछले 55 दिनों में रेलवे को 2,220 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस दौरान पटरियों के जाम होने और उसके कारण भारतीय रेलवे की ओर से ट्रेन ट्रैफिक रोक देने से राज्य के उद्योग को भी अब तक करीब 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। भारतीय रेलवे का मत है कि जब तक आंदोलनकारी यात्री ट्रेनों का परिचालन नहीं होने देते हैं तब तक वह मालगाड़ी का परिचालन भी शुरू नहीं करेगा। हालांकि, किसान संगठन अब तक केवल मालगाड़ी चलने देने पर ही सहमत हुए हैं। भारतीय रेलवे के आंकड़ों के अनुसार आंदोलन के कारण उसे मालवहन खंड में प्रतिदिन 40 रैक लदान का नुकसान हुआ है। उत्तर रेलवे को प्रतिदिन 14.85 करोड़ रुपये का नुकसान केवल आय सृजन का हो रहा है। 19 नवंबर तक मालवहन खंड में राजस्व का कुल नुकसान करीब 825 करोड़ रुपये था। वहीं दूसरी ओर यात्री खंड में यात्रि ट्रेनों के रद्द होने से राजस्व का कुल नुकसान 67 करोड़ रुपये है। इस तरह से उत्तर रेलवे का कुल नुकसान 891 करोड़ रुपये है। जबकि समूचे भारतीय रेलवे के लिए आमदनी का नुकसान करीब 2,220 करोड़ रुपये है। पंजाब में किसानों ने 24 सितंबर को पटरी जाम करना शुरू किया था। किसान केंद्र की ओर से लागू नए कृषि उपज विपणन कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों का पक्ष है कि केंद्र के नए कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली समाप्त हो सकती है। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय रेलवे राज्य में करीब 3,850 ट्रेनों में लदान नहीं करा पाया है। अब तक, 2,352 ट्रेनों को या तो रद्द किया गया है या फिर उनका मार्ग परिवर्तन किया गया है। फिलहाल करीब 230 रैक पंजाब से बाहर खड़े है जिनमें 78 कोयला के लिए, 34 उर्वरक के लिए, आठ पेट्रोलियम तेल स्नेहकों के लिए और 102 कंटेनर, इस्पात और अन्य जिंसों के लिए हैं। हालांकि, करीब 96 रैक पंजाब में खड़े हैं जिन्हें वहां से नहीं निकाला जा सकता है। आंदोलन के कारण रेलवे के साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के मुताबिक लुधियाना और जालंधर को ही अब तक करीब 22,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
