इन्फो एज (इंडिया) ने सितंबर तिमाही के दौरान कमजोर परिचालनात्मक प्रदर्शन किया है। मार्जिन के मोर्चे पर निराशा दिखाई दी है, क्योंकि विशेष रूप से वैवाहिक खंड (जीवनसाथी) पर अधिक विज्ञापन लागत के रूप में इसके परिचालन लाभ पर दबाव रहा है। क्रमिक आधार पर इसका मार्जिन 17 प्रतिशत तक की गिरावट के साथ लुढ़ककर 20.1 प्रतिशत पर आ गया है, क्योंकि विज्ञापन खर्च लगभग दोगुना हो चुका है। विज्ञापन और बिक्री संवर्धन (एऐंडपी) की लागत जून तिमाही के दौरान नौ प्रतिशत की तुलना में 20 प्रतिशत थी। प्रबंधन को इस बात की उम्मीद है कि विज्ञापन में निवेश का मौजूदा स्तर आगे भी जारी रहेग, क्योंकि कंपनी वैवाहिक खंड में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस खंड में प्रतिस्पर्धात्मक तीव्रता बढऩे की वजह से जेएम फाइनैंशियल के विश्लेषकों इस बात की उम्मीद है कि वित्त वर्ष 21 की दूसरी छमाही के दौरान एऐंडपी व्यय अधिक रहेगा। उन्हें इस बात की भी उम्मीद है कि कर्मचारी लागत में क्रमिक वृद्धि होगी, क्योंकि बिक्री प्रोत्साहन से संबंधित भुगतान और नियुक्ति शुरू हो गई है, जबकि लंबित वेतन बढ़ोतरी और बोनस पर भी विचार किया जा रहा है। इस कारण मार्जिन पर दबाव बना रहेगा। कुल राजस्व के मामले में पिछले साल पहले की तिमाही के मुकाबले 19 प्रतिशत की गिरावट आई है। रियल एस्टेट खंड (99एकड़) की वजह से ऐसा हुआ है जिसमें 36 प्रतिशत गिरावट रही है, जबकि नौकरी समाधान (नौकरी) में 19 प्रतिशत तक की गिरावट रही है। बॉबकैप्स रिसर्च के विश्लेषकों का मानना है कि यातायात में निरंतर हो रहे सुधार का असर राजस्व में नजर नहीं आ रहा है और मुख्य कारोबार में विलंब होने की आशंका है। हालांकि अधिकांश ब्रोकरेज सॉफ्टवेयर खंड में अधिक नियुक्तियां होने की उम्मीद जता रहे हैं जिससे निकट अवधि के दौरान नौकरी समाधान में सहायता मिलने की उम्मीद है। अलबत्ता 99एकड़ को बिक्री में इजाफे दिखने में समय लग सकता है, क्योंकि दो-तिहाई राजस्व नई शुरुआत से आता है जिसमें कुछ तिमाहियों का समय लग सकता है। हालांकि वैवाहिक खंड में कंपनी ने बाजार हिस्सेदारी जारी रखी हुई है, लेकिन अधिक व्यय के कारण यह कारोबार में पैसा गंवा रही है। अलबत्ता समेकन से प्रतिस्पर्धी दबाव कम हो सकता था और विपणन लागतों को बचाया जा सकता था।
