सिएट टायर्स के प्रबंध निदेशक अनंत गोयनका ने कहा है कि देश में टायर आयात पर लगाई गई पाबंदी घरेलू विनिर्माण के लिए अपनी मौजूदगी और उत्पाद पेशकश बढ़ाने का अवसर है। वैश्विक महामारी के बीच आरपीजी एंटरप्राइज की कंपनी अपनी निवेश योजनाओं को आगे बढ़ा रही है। इसे कंपनी को घरेलू और निर्यात जरूरतों को पूरा करने के लिए अपना उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। गोयनका ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'हमारे लिए यह (आयात पर पाबंदी) आयातित टायर के मुकाबले बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का एक अवसर है। बैलगाड़ी से लेकर हवाई जहाज तक के लिए टायर संबंधी देश की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने की विनिर्माताओं के पास पर्याप्त क्षमता है।' जून में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना जारी करते हुए यात्री वाहनों, बसों और दोपहिया वाहनों में इस्तेमाल होने वाले टायरों को मुक्त सूची से हटाकर प्रतिबंधित सूची में डालने का आदेश जारी किया था। इसका मतलब है साफ है कि अब आयातक को आयात के लिए डीजीएफटी से लाइसेंस या अनुमति लेने की आवश्यकता होगी। हालांकि प्रतिबंध सभी देशों से आयात के लिए है लेकिन इस तरह के ज्यादातर टायर चीन से आयात किए जाते हैं। सरकार के इस कदम से टायर विनिर्माताओं को काफी रफ्तार मिलेगी। टायर कंपनियां व्यक्तिगत मोबिलिटी को तरजीह दिए जाने, ग्रामीण बाजार में दमदार बिक्री और वाहनों के टायर बदलने के लिए मांग में तेजी के कारण सुधार की राह पर अग्रसर है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक व्यवधान के बीच दमदार मात्रात्मक बिक्री के कारण जेके टायर्स, एमआरएफ टायर्स और अपोलो टायर्स जैसी अन्य टायर कंपनियों को भी सितंबर तिमाही में दमदार आय दर्ज करने में मदद मिली। उदाहरण के लिए, सिएट का समेकित शुद्ध लाभ जुलाई से सितंबर की अवधि में चार गुना बढ़कर 182.18 करोड़ रुपये हो गया। गोयनका ने कहा, 'जुलाई-अगस्त से स्थिति लगातार बेहतर हो रही है।' लगातार वृद्धि दर्ज करने से उत्साहित सिएट 3,500-करोड़ रुपये के अपनी विस्तार योजना से आगे बढ़ रही है। इसमें से वह 2,000 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही कर चुकी है और शेष रकम का निवेश अगले कुछ वर्षों में करने की योजना है। कंपनी फिलहाल अपने संयंत्रों का परिचालन 85 से 90 फीसदी क्षमता उपयोगिता पर कर रही है।
