भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में छह महीने से चल रहे गतिरोध को सुलझाने के करीब पहुंच रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच समयबद्ध तरीके से गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों और हथियारों को पीछे हटाने पर व्यापक सहमति बनने की संभावना है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि प्रस्ताव के व्यापक प्रारूप के तहत समझौता होने पर एक दिन में सशस्त्र कर्मियों को हटाने, पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे के खास क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी और दोनों पक्षों द्वारा प्रक्रिया का सत्यापन शामिल है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय हिस्से में 6 नवंबर को चुशूल में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच आठवें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के दौरान सैनिकों को पीछे हटाने और अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने के विशेष प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना और चीन की सेना (पीएलए) कोर कमांडर स्तर पर होने वाली अगली वार्ता में समझौता पर पहुंचने की उम्मीद कर रही है। सैन्य स्तर पर नौवें दौर की वार्ता अगले कुछ दिनों में होने की संभावना है। पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में भारतीय सेना के करीब 50,000 जवान तैनात हैं। अधिकारियों के मुताबिक चीन ने भी इतने ही जवान तैनात किए हैं। दोनों पक्षों के बीच मई की शुरुआत में गतिरोध शुरू हुआ था। सूत्रों ने बताया कि समझौता होने पर पहले कदम के तौर पर तीन दिनों के भीतर दोनों पक्ष टैंक, बड़े हथियारों, बख्तरबंद वाहनों को एलएसी के पास गतिरोध वाले स्थानों से पीछे के बेस में ले जाएंगे। दूसरे के कदम के तौर पर पीएलए के सैनिक पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर 4 के अपने मौजूदा स्थान से फिंगर 8 क्षेत्र में चले जाएंगे जबकि भारतीय सैनिक धान सिंह थापा चौकी के करीब तैनात होंगे। उन्होंने बताया कि सेनाओं के बीच बनी सहमति के तहत व्यापक रूप से तीन दिनों में हर दिन करीब 30 प्रतिशत सैनिकों की वापसी होगी। तीसरे चरण में पैंगोग झील के दक्षिणी किनारे पर रेजांग ला, मुखपारी और मगर पहाड़ी जैसे क्षेत्रों से सैनिक पीछे हटेंगे।
