इक्विटी म्युचुअल फंडों से अक्टूबर में लगातार चौथे महीने निकासी | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई November 09, 2020 | | | | |
इक्विटी म्युचुअल फंडों से लगातार चौथे महीने निवेश निकासी हुई है क्योंंकि अक्टूबर में निवेशकों ने मुनाफावसूली जारी रखी। पिछले महीने इक्विटी योजनाओं (क्लोज एंडेड समेत) से 3,990 करोड़ रुपये की निकासी हुई। जुलाई से अब तक 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी हो चुकी है।
इक्विटी फंडोंं में मल्टीकैप फंडों से सबसे ज्यादा 1,903 करोड़ रुपये की निकासी हुई, जिसकी वजह मुनाफावसूली और फंड की श्रेणी की परिभाषा में नियामकीय बदलाव का मामला था। लार्ज, मिड और स्मॉलकैप से संयुक्त रूप से करीब 1,600 करोड़ रुपये की निकासी हुई, वहीं वैल्यू/कॉन्ट्रा फंडों से 1,201 करोड़ रुपये की।
मोतीलाल ओसवाल ऐसेट मैनेजमेंट के सहायक निदेशक और बिक्री व वितरण पप्रमुख अखिल चतुर्वेदी ने कहा, लोगों को महसूस हो रहा है कि बाजार अपने फंडामेंटल से आगे है और आने वाले समय में कुछ उतारचढ़ाव हो सकता है। ऐसे में इक्विटी के प्रति रुझान अभी कम है।
अमेरिकी चुनाव से पहले संभावित उतारचढ़ाव से भी निवेशकों ने मुनाफावसूली की हो सकती है। एसआईपी के आंकड़े मजबूत बने रहे और अक्टूबर में एक महीने पहले के मुकाबले एसआईपी योगदान में मामूली बढ़ोतरी हुई और यह 7,800 करोड़ रुपये रहा। एसआईपी एयूएम अक्टूबर में 2.1 फीसदी बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये रहा।
यूनियन एमएफ के सीईओ जी प्रदीपकुमार ने कहा, लगता है कि निवेशकोंं ने अपने इक्विटी को, का एक हिस्सा इक्विटी से डेट, खास तौर से शॉर्ट टर्म फंडों में लगाया है। उन्हें आगामी महीनों में बहुत ज्यादा निवेश निकासी की उम्मीद नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि अगर बाजार में अच्छी खासी गिरावट आती है तभी इसमें निवेश की संभावना होगी।
डेट फंडों में 1.1 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ है, जिसकी अगुआई लिक्विड, मनी मार्कट, शॉर्ट टर्म बॉन्ड और कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों में हुए 15,000-15,000 करोड़ रुपये के निवेश ने की। जुलाई से अक्टूबर के बीच डेट एमएफ का कुल संग्रह (लिक्विड, ओवरनाइट व अल्ट्रा शॉर्ट फंड को छोड़कर) 1.67 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है।
एम्पी के सीईओ एन एस वेंकटेश ने कहा, एसआईपी योगदान और एसआईपी एयूएम अक्टूबर में बढ़ा और इक्विटी योजनाओं से लगातार घट रही निकासी बताती है कि एक परिसंपत्त्ति वर्ग के तौर पर म्युचुअल फंडों में खुदरा निवेशकों को भरोसा है। यह ट्रेंड अर्थव्यवस्था में सुधार और आकर्षक ब्याज दर, जीएसटी संग्रह में इजाफा आदि में प्रतिबिंबित हो रहा है। साथ ही सरकार ने भी एफडीआई व एफपीआई के लिए अनुकूल सरकारी नीति बनाई है।
अक्टूबर में हाइब्रिड योजनाओं से निकासी नरम हुई और यह 1,682 करोड़ रुपये रही, जो सितंबर व अगस्त में क्रमश: 4,219 करोड़ रुपये व 4,819 करोड़ रुपये रही थी।
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