महाराष्ट्र में मनेगी पटाखा मुक्त दीवाली! | सुशील मिश्र / मुंबई November 06, 2020 | | | | |
देश में सबसे ज्यादा कोरोना का कहर झेलने वाले महाराष्ट्र में अब कोरोना नियंत्रण में आने लगा है, लेकिन सरकार को डर है कि कोरोना की दूसरी लहर उसकी पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है। वर्तमान में कोरोना रोगियों की संख्या नियंत्रण में होने के बावजूद राज्य में कोरोना परीक्षणों की संख्या बढ़ाने और बुखार की निगरानी को प्रभावी ढंग से करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने लोगों को आगाह करते हुए अबकी बार पटाखा मुक्त दीपावली मनाने की अपील की है।
मुंबई सहित पूरे राज्य में कोरोना नियंत्रण में आने के बावजूद सरकार अपने प्रयासों में कमी करने के पक्ष में नहीं हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कोरोना नियंत्रण के लिए गठित टॉस्क फोर्स और कोरोना डेथ ऑडिट कमेटी के साथ गुरुवार को बैठक की। बैठक में कोरोना की दूसरी लहर की संभावनाओं के मद्देनजर पूर्व तैयारी और दिवाली उत्सव को देखते हुए सावधानी बरतने को लेकर चर्चा हुई। कोरोना की दूसरी लहर की संभावनाओं के बीच प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने अबकी बार पटाखा मुक्त दीपावली मनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्य मंत्रिमंडल के सामने पटाखा मुक्त दीवाली मनाने के लिए नियम बनाने की मांग करेंगे।
टोपे ने कहा कि ठंड के कारण पटाखों का धुआं आसमान की ओर नहीं जा पाता। इस कारण लोगों को सांस लेने में ज्यादा समस्या हो सकती है। इसलिए ज्यादा सावधानी बरतना उचित होगा। राज्य में पटाखा मुक्त दीवाली मनाने की मानसिक तैयारी करने की जरूरत है। टोपे ने कहा कि फ्रांस और अमेरिका की तरह राज्य में दूसरी लहर आने की संभावना कम है, लेकिन दीवाली के उत्सव में यदि नियमों का पालन नहीं हुआ, तो संक्रमण बढ़ने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। दीवाली में होने वाली भीड़ और ठंड के मौसम की वजह से संक्रमण बढ़ सकता है। टोपे ने कहा कि प्रदेश में कोरोना की जांच प्रभावी तरीके से जारी रहेगी। इसके लिए राज्य भर के सभी 500 लैब का उपयोग किया जाएगा। राज्य में किराना दुकानदार, छोटे व्यवसायी, दूध और सब्जी विक्रेता, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के कर्मचारियों, हमाल और मजदूरों की बड़े पैमाने पर जांच के निर्देश क्षेत्रिय स्तर पर दिए गए हैं।
राज्य के छोटे शहरों के अस्पतालों में आईसीयू के डॉक्टर्स, नर्स की कमी को ध्यान रखते हुए वहां के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा राज्य में टेली आईसीयू का अधिक इस्तेमाल किया जाएगा। राज्य में कोरोना के मरीजों के लिए निजी अस्पतालों के 80 फीसदी बेड आरक्षित रखने का फैसला कायम रहेगा। जिस जिले में कोरोना के मरीजों की संख्या बहुत कम होगी, तो वहां जिला प्रशासन 80 फीसदी की जगह 50 फीसदी बेड़ आरक्षित रखने का फैसला ले सकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पतालों में होने वाली हर मौत का कारण संबंधित अस्पताल को बताना ही पड़ेगा। इसके लिए अस्पताल के स्तर पर डेथ ऑडिट कमेटी बनाई जानी चाहिए। इस पर जिला और राज्य स्तर की डेथ ऑडिट कमेटी की निगरानी होनी चाहिए।
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