कोयले के वाणिज्यिक खनन और बिक्री के लिए निजी कंपनियों को खदानें देने हेतु हो रही ई-नीलामी के पहले दिन खदान पाने में दिग्गजों व छोटी कंपनियों दोनों की ही भागीदारी रही। वेदांत लिमिटेड को ओडिशा के राधिकापुर (60 लाख टन सालाना) और हिंडालको इंडस्ट्रीज को झारखंड की चकला खदान मिली। अदाणी इंटरप्राइजेज भी इन दोनों खदानों को हासिल करने की दौड़ में शामिल थी, लेकिन उसे एक भी नहीं मिल सकी। सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली इस क्षेत्र में कदम रखने वाली हैदराबाद की रियल एस्टेट कंपनी अरविंदो रियल्टी ऐंड इन्फ्रा रही, जिसने महाराष्ट्र की ताकली-जेना-बेल्लोरा (उत्तर और दक्षिण) खदान के लिए राजस्व साझा करने में 30.75 प्रतिशत प्रीमियम की बोली लगाई। पेशकश में शामिल सबसे छोटी खदानों में से एक, महाराष्ट्र की मारकी मंगली-2 खदान यजदानी इंटरनैशनल को मिली, जो भुवनेेश्वर की मेटल और माइनिंग निर्यातक है। इस खदान की सालाना क्षमता 3 लाख टन है। यह नीलामी राजस्व साझा करने के मुताबिक हो रही है। इसमें हिस्सा लेने वालों को उत्पादन और बिक्री से मिलने वाला राजस्व राज्य सरकार के साथ साझा करना होगा। कोयले की कीमत का निर्धारण नैशनल कोल इंडेक्स (एनसीआई) के माध्यम से होगा, जिसका गठन कोयला मंत्रालय करेगा। पहली बार केंद्र सरकार वाणिज्यिक खनन और बिक्री के लिए निजी कंपनियों को कोयला खदानों का आवंटन कर रही है। सिके लिए कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में मई में संशोधन किया गया था। गैर खनन कंपनियों और विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए नीलामी की प्रक्रिया आसान बनाई गई है। बहरहाल किसी भी विदेशी कंपनी ने बोली में हिस्सा नहीं लिया। अदाणी इंटरप्राइजेज ने सबसे ज्यादा तकनीकी बोली लगाई है और 12 खदानों के लिए शुरुआती पेशकश की है। तकनीकी दौर के तहत कंपनियों ने अपनी पात्रता और शुरुआती मूल्य की पेशकश की थी, जिसकी पेशकश पिछले महीने बंद हुई थी। कोयला मंत्रालय द्वारा पेश की गई 38 खदानों में 46 कंपनियों की ओर से 19 ब्लॉकों में दिलचस्पी दिखाई गई। कुल 82 बोली दाखिल की गई है।
