भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के भुगतान प्लेटफॉर्म यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) अक्टूबर महीने में 3.86 लाख करोड़ रुपये के 2 अरब से ज्यादा ट्रांजैक्शन हुए हैं। 2016 में इसे पेश किए जाने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। अक्टूबर के पहले 15 दिनों में लेन-देन के आंकड़े एक अरब के पार पहुंच गए थे। एनपीसीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर में यूपीआई में 2.07 अरब लेन-देन हुई है। यह अक्टूबर 2019 के 1.14 अरब लेनदेन की तुलना में करीब 82 प्रतिशत ज्यादा है। अक्टूबर 2019 में पहली बार एक अरब लेनदेन के आंकड़े पार हुए थे। यूपीआई से एक अरब लेनदेन पर पहुंचने में जहां 3 साल लगे, वहीं एक अरब से दो अरब लेनदेन महत एक साल बाद ही हो गया। महामारी के कारण हुए लॉकडाउन से अप्रैल में लेनदेन तेजी से गिरा। इस साल अप्रैल में यूपीआई लेनदेन गिरकर 0.99 अरब रह गया। और उसके बाद यूपीआई लेन देन दोगुने से ज्यादा हो गया है, जबकि आर्थिक संकुचन हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉमों ने यूपीआई लेनदेन में तेजी में अहम योगदान दिया है, खासकर त्योहार के दौरान। इसके अलावा तमाम लोगों का यह भी कहना है कि अब लेन-देन कार्ड से यूपीआई व अन्य माध्यमों की ओर बढ़ रहा है। जून 2020 से यूपीआई हर महीने नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। इसका इस्तेमाल आसान होने और सुरक्षा व्यवस्था के कारण व्यापक रूप से इसकी स्वीकार्यता हो रही है। खासकर पी2पी चैनलों के माध्यम से इसकी स्वीकार्यता तेज हुई है। भारत पे के सीईओ और सह संस्थापक अशनीर गोयल ने कहा कि कारोबार खुलने के साथ यूपीआई से भुगतान बढ़ रहा है और ग्राहक सुरक्षित और सुविधाजनक होने के कारण यूपीआई का विकल्प चुन रहे हैं। इमीडिट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) भी लेन देने और लेन देन के मूल्य के हिसाब से उच्चतम स्तर पर है। अक्टूबर में आईएमपीएस से 2.74 लाख करोड़ रुपये का 31.9 करोड़ लेनदेन हुआ। पिछले साल की समान अवधि में आईएमपीएएस से 2.12 लाख करोड़ रुपये का 23.6 करोड़ लेनदेन हुआ था। अक्टूबर में भारत बिल पेमेंट सिस्टम से 3,961 करोड़ रुपये का 2.372 करोड़ लेन देन हुआ है। फास्टैग से लेनदेन बढ़कर 12.236 करोड़ हो गया, जो पिछले साल से 300 प्रतिशत ज्यादा है।
