विशाखित इक्विटी फंडों का प्रदर्शन पिछले 3, 5 और 10 साल की अवधि में कई डेट श्रेणियों के मुकाबले कमजोर रहा है, जो उस संपत्ति वर्ग का मामला है जिसे लंबी अवधि के लिहाज से उम्दा प्रदर्शन करने वाला माना जाता रहा है। साल 2018 से भारतीय इक्विटी के ध्रुवीकरण ने इक्विटी फंडों खास तौर से लार्जकैप फंडों के प्रदर्शन पर असर डाला है। साल 2018 में मिड व स्मॉलकैप शेयरोंं के धराशायी होने से उन फंडों के रिटर्न को झटका लगा, जो इन शेयरों में निवेश करते थे। दूसरी ओर, डेट की कई श्रेणियों को पिछले कुछ सालों में घटती ब्याज दर का फायदा मिला है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि डेट श्रेणियों के 16 में से 15 ने तीन साल की अवधि में विशाखित इक्विटी फंडों को मात दी है। लॉन्ग ड््यूरेशन फंड और 10 साल के गिल्ट फंड इस अवधि में अग्रणी प्रदर्शन वाले रहे हैं और उनका रिटर्न क्रमश: 9.25 फीसदी व 10 फीसदी रहा है। लार्जकैप फंडों ने इक्विटी श्रेणी में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है और उसका रिटर्न 4 फीसदी रहा है। 5 और 10 साल की अवधि में भी कई डेट श्रेणियों ने इक्विटी फंडों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। उदाहरण के लिए 5 साल की अवधि में डेट की 10 श्रेणियों ने स्मॉलकैप फंडों के रिटर्न को मात दी है। क्रेडिट रिस्क फंड को छोड़कर डेट की सभी श्रेणियों ने लार्जकैप फंडोंं के 10 साल के 7.7 फीसदी रिटर्न को मात दी है। मिरे ऐसेट ग्लोबल इन्वेस्टमेंट्स (इंडिया) के सीईओ स्वरूप मोहंती ने कहा, हममें से किसी भी नहींं सोचा था कि सात साल का रिटर्न दो महीने में पूरा धुल जाएगा। लंबी अवधि की अवधारणा और क्या इक्विटी हमेशा लंबी अवधि में डेट के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगा, इसका आकलन दोबारा करने की जरूरत है। 10 साल वाली सरकारी प्रतिभूतियां अभी 5.88 फीसदी पर हैं और 1 जनवरी 2018 से इसमें 146 आधार अंकों की गिरावट आई है। इस अवधि में निफ्टी-50 11.5 फीसदी और निफ्टी 500 में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले पांच व दस सालों में निफ्टी 50 में क्रमश: 93 फीसदी व 44 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। हालिया एसऐंडपी सूचकांकों बनाम ऐक्टिव इंडिया का स्कोरकार्ड भी लंबी अवधि में इक्विटी फंडों के प्रदर्शन को कमतर आंकता है। 80 फीसदी से ज्यादा लार्जकाप फंडों का प्रदर्शन उनके बेंचमार्क के मुकाबले 3 व 5 साल की अवधि में कमजोर रहा है और उनमें से 67 फीसदी का प्रदर्शन 10 साल की अवधि में इसी तरह का रहा है। पिछले प्रदर्शन के आधार पर निवेशकों ने अब इंडेक्स फंडों व एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों का रुख किया है, जो पैसिव फंड हैं। उद्योग के एक वरिषष्ठ अधिकारी ने कहा, उम्दा रिटर्न अर्जित करने का मिथक पिछले एक साल में टूटा है। निवेशक अपने इक्विटी पोर्टफोलियो का 5 से 10 फीसदी इंडेक्स फंडों में लगाने के इच्छुक हैं, जो पहले नहींं होता था। हर किसी को यह भरोसा नहीं हो रहा है कि लंबी अवधि में इक्विटीज की क्षमता संदेह के घेरे मेंं है। उपरोक्त रिटर्न पाइंट टु पाइंट हैं और शुरुआत व अंत की अवधि के बदलने पर इसमें भारी अंतर देखने को मिल सकता है। रिटर्न का आकलन करने के लिए रोलिंग रिटर्न बेहतर जरिया है क्योंंकि इसमें सिर्फ 3, 5 या 10 साल के ब्लॉक को नहीं देखा जाता बल्कि विभिन्न अंतराल पर कई ऐसे ब्लॉक पर नजर डाला जाता है।
