विदेशी बैंक खोज रहे समाधान | रघु मोहन / मुंबई October 31, 2020 | | | | |
विदेशी बैंकों ने एक से अधिक चालू खाते के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के खिलाफ संभावित विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है। केंद्रीय बैंक ने उधार लेने वालों को यह कहकर एक से अधिक चालू खाता खोलने से रोक दिया है और उसे ठीक नहीं बताया है। आरबीआई ने उधार लेने वालों के बीच बड़ी मात्रा में रकम के आदान-प्रदान पर अंकुश लगाने के लिए यह कदम उठाया था, लेकिन इसका तात्कालिक असर विदेशी बैंकों के नकदी प्रबंधन कारोबार पर पड़ा है।
आरबीआई के इस आदेश की काट निकालने के लिए अग्रणी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) और घरेलू कंपनियों का एक समूह अपने कानूनी सलाहकारों से बातचीत कर रहा है। हालांकि यह कवायद उपलब्ध विकल्पों की पड़ताल के लिए हो रही है और राजनयिक रास्ते से मामले का समाधान इन कंपनियों की प्राथमिकता है। इसकी वजह यह आशंका है कि कानूनी लड़ाई के बाद यथास्थिति बहाल करने का ही फैसला आएगा। देसी उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ भी यह मुद्दा उठाया है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राजनयिक मिशनों, भारतीय बैंक संघ, फिक्की और भारतीय उद्योग परिसंघ के साथ एक संयुक्त रणनीति तैयार करने पर माथापच्च्ची हो रही है।
आरबीआई ने 6 अगस्त 2020 को चालू खाता घाटा खोलने की प्रक्रिया को उधारी संबंध से जोड़ दिया था। इससे पहले रकम के हेरफेर पर केंद्रीय सतर्कता आयोग और केंद्रीय जांच ब्यूरो के साथ गहन चर्चा हुई थी। केंद्रीय बैंक द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया कि यदि किसी ग्राहक को बैंक से मिला कर्ज समूची बैंकिंग प्रणाली से मिले कुल कर्ज के 10 फीसदी से कम है तो उसके खाते में रकम डाले जाने में कोई दिक्कत नहीं है। मगर कैश क्रेडिट (सीसी) और ओवरड्राफ्ट खाते (ओडी) से निकासी किसी ऐसे बैंक में खुले सीसी या ओडी खाते में जमा करने के लिए ही हो सकती है, जिसने उस ग्राहक को बैंकिंग प्रणाली के कुल कर्ज के 10 फीसदी से अधिक रकम उधार दी है। आरबीआई ने यह भी कहा कि 50 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज दिया गया हो तो अलग खाते की व्यवस्था होनी चाहिए और उस खाते को संभालने वाला बैंक ही चालू खाता खोल पाएगा।
हालांकि इन दिशानिर्देशों के अनुसार मंजूर हुई रकम आधारित एवं रकम गैर रकम आधारित ऋण सुविधा के योग को 'कर्ज' कहा जाएगा। लेकिन देश में को कुल कर्ज का 10 फीसदी उधार दे सके। इसे चालू खाता खोलने से जोडऩे पर विदेशी बैंकों के नकदी प्रबंधन कारोबार को तगड़ी चोट पड़ी। इन बैंकों को शुल्क के जरिये होने वाली आय का बड़ा स्रोत यही कारोबार है।
इस बारे में एक विदेशी बैंक के अधिकारी ने कहा, 'बड़ी कंपनियों को बैंकों से नकदी प्रबंध सेवाओं की जरूरत होती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां हमारे जरिये परिचालन करती हैं क्योंकि हम उनके लिए वैश्विक बैंकर होते हैं।'
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