नोमुरा में ग्लोबल मार्केट्र्स रिसर्च (एशिया एक्स-जापान) के प्रबंध निदेशक, मुख्य अर्थशास्त्री एवं प्रमुख रॉब सुब्बारमन ने 28 अक्टूबर की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विदेशी निवेशकों द्वारा वर्ष 2021 में भारत में निवेश को लेकर सतर्कता बरते जाने की संभावना है, क्योंकि उन्होंने सभी उभरते बाजारों (ईएम) में अपने निवेश विकल्पों को अपनाया है। सुब्बारमन ने कहा, 'अगले साल के संदर्भ में, एक संभावित बदलाव सभी ईएम में मजबूतपूंजी प्रवाह प्रतिफल है, लेकिन हमारा मानना है कि ज्यादा संभावना यह है कि विदेशी निवेशक ईएम में ज्यादा सतर्कता और अंतर देख रहे हैं। ज्यादा भेदभावपूर्ण पूंजी प्रवाह से मजबूत और कमजोर प्रदर्शन वाली ईएम अर्थव्यवस्थाओं के बीच असमानताएं बढ़ सकती हैं।' रिपोर्ट में 20 ईएम को चार क्वाड्रेंट्स स्ट्रॉन्ग बैलेंस ऑफ पेमेंट (बीओपी) में श्रेणीबद्घ किया गया है - वीक फिस्कल, स्टॉन्ग फिस्कल, वीक बीओपी, वीक फिस्कल और वीक बीओपी, स्ट्रॉॅन्ग फिस्कल। ब्राजील, भारत, चीन, पोलैंड, फिलीपींस और थाईलैंड पहले क्वाडें्रट में शामिल है जिसमें बीओपी मजबूत, लेकिन फिस्कल कमजोर है। नोमुरा के अनुसार, ये अर्थव्यवस्थाएं, विदेशी मुद्रा बाजार और सरकारी बॉन्ड बाजार दोनों में हस्तक्षेप के लिए केंद्रीय बैंकों के लिए मजबूत प्रोत्साहन हैं। इस परिवेश में उन्हें तरलता कमजोर पडऩे, स्थानी मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत रहने की संभावना है। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजारों में 96,123 करोड़ रुपये लगाए हैं। वहीं घरेलू निवेशकों ने इस अवधि के दौरान 25,793 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
