टाटा समूह ने एयर एशिया इंडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की अमेरिकी फंड कंपनी इंटरप्स इंक की पेशकश नकार दी है। यह हिस्सेदारी फिलहाल एयर एशिया बरहाद के पास है। इंटरप्स की पेशकश को एयर एशिया बरहाद का समर्थन मिला था क्योंकि मलेशिया की यह कंपनी अपने देश में वित्तीय संकट में फंसी है और भारत से निकलना चाहती है। एयर एशिया की हिस्सेदारी बिक्री में टाटा की रजामंदी जरूरी है क्योंकि दोनों साझेदारों के बीच एक-दूसरे की हिस्सेदारी खरीदने से सबसे पहले इनकार करने का करार है। दिलचस्प है कि इंटरप्स ने संयुक्त उपक्रम में एयर एशिया बरहाद की 49 फीसदी हिस्सेदारी के साथ ही टाटा संस की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की भी पेशकश की थी। दोनों की हिस्सेदारी के लिए कंपनी की कीमत एक जैसी लगाई गई थी। कानूनी पहलू से जुड़े एक सूत्र ने बताया, 'इंटरप्स की पेशकश पर टाटा ने कोई जवाब नहीं दिया जबकि एयर एशिया बरहाद ने हिस्सेदारी खरीदने की पेशकश पर हामी भर दी। एयर एशिया बरहाद को भारतीय संयुक्त उपक्रम में हिस्सेदारी बेचने से करीब 5.4 करोड़ डॉलर मिल सकते हैं।' टाटा संस और इंटरप्स ने इस बारे में भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। इंटरप्स भारत में फंसी हुई कई संपत्तियों को खरीदने की पेशकश कर चुकी है मगर अभी तक उसे किसी में भी कामयाबी नहीं मिली है। वह रिलायंस नेवल, एशियन कलर कोटेड इस्पात और लवासा कॉर्पोरेशन में दिलचस्पी दिखा चुकी है। सूत्रों ने कहा कि इंटरप्स ने एयर एशिया इंडिया की होल्डिंग कंपनी में निवेश करने के विकल्प पर भी विचार किया। कंपनी का स्वामित्व एयर एशिया बरहाद के पास है और उसमें निवेश करने से इंटरप्स को परोक्ष तरीके से एयर इंडिया एशिया के शेयर मिल जाएंगे। मगर इस पर अभी तक कोई भी फैसला नहीं किया गया है। टाटा समूह की विमानन कंपनी भी भारत की अन्य विमानन कंपनियों की तरह कोरोना महामारी के अप्रत्याशित संकट से जूझ रही है। महामारी की वजह से यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आई है जिससे विमानन कंपनियों का कारोबार बहुत कम हो गया है। एयर एशिया इंडिया और टाटा एसआईए एयरलांइस का कारोबार जारी रखने और दोनों को ठप होने से बचाने के लिए टाटा संस को दोनों में ही अतिरिक्त निवेश करना पड़ा। टाटा एसआईए को संयुक्त उपक्रम में अपनी साझेदार टाटा संस से इस साल अप्रैल में 500 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश मिला है। टाटा संस ने एयर एशिया इंडिया के परिवर्तनीय डिबेंचर में भी 550 करोड़ रुपये का निवेश किया है। जब इन डिबेंचरों को शेयरों में बदला जाएगा तो कंपनी में टाटा की हिस्सेदारी 51 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगी। एयर एशिया इंडिया द्वारा डॉचये बैंक, एचएसबीसी और टाटा कैपिटल से लिए गए ऊंची लागत वाले अल्पावधि कर्ज चुकाने के लिए भी इंटरप्स तैयार है ताकि कर्ज पर हो रहा विमानन कंपनी का खर्च कम हो सके। मार्च तिमाही में एयर एशिया इंडिया को 330 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और उसकी आय 928 करोड़ रुपये रही। 2019 की मार्च तिमाही में कंपनी को 147 करोड़ रुपये का घाटा और 631 करोड़ रुपये की आय हुई थी।
