फिलहाल परिसमापन से जूझ रही हैदराबाद की कंपनी लैंको इन्फ्राटेक की स्थापना 2006 में की गई थी ताकि 1960 में स्थापति लैंको ग्रुप के विविध कारोबार को एक ब्रांड के तहत संचालित किया जा सके। करीब बारह साल बाद वही एकीकृत मॉडल कंपनी के लिए एक विफल समाधान एवं परिसमापन का कारण बना। इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) कंपनी लैंको इन्फ्राटेक में विभिन्न लैंको परिसंपत्तियों की हिस्सेदारी थी। वर्ष 2017 में लैंको इन्फ्राटेक के ऋण समाधान का प्रयास किया गया। लेकिन एक साल बाद वह प्रयास विफल हो गया। इससे भारत में नई ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता 2016 के होने के बावजूद बुनियादी ढांचा एवं बिजली क्षेत्र की इस दिग्गज कंपनी के ऋण समाधान की जटिलताएं उजागर हुईं। अल्वारेज ऐंड मार्सल के प्रबंध निदेशक (पुनर्गठन एवं पुनरुद्धार प्रक्रिया) वेंकटरमण रंगनाथन ने कहा, 'लैंको के ऋण समाधान को मुख्य तौर पर समूह समाधान प्रक्रिया के अभाव के कारण झटका लगा। बुनियादी तौर पर लैंको इन्फ्राटेक के पास कोई परिसंपत्ति नहीं है।' अगस्त 2018 में ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया (परिसमापन प्रक्रिया) विनियमों के तहत लैंको इन्फ्राटेक के परिसमापन की घोषणा की गई थी। सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार, मार्च तक रेहन एवं बिना रेहन वाले 52 वित्तीय लेनदारों के 52,258 करोड़ रुपये के दावे स्वीकार किए गए। लेकिन परिसमापन की प्रक्रिया अभी भी लंबित है। लैंको इन्फ्राटेक के परिसंपत्तियों के अभाव की तुलना यदि उसके लंबित दावों से किया जाए तो वह भारत के लिए कोई असामान्य बात नहीं है। बुनियादी ढांचा एवं ऊर्जा क्षेत्र की अधिकतर भारतीय कंपनियों का मॉडल एक होल्डिंग कंपनी ढांचे के तहत दिखेगा जहां परियोजना स्तर की तमाम विशेष उद्देशीय कंपनियों (एसपीवी) के साथ होल्डिंग का ढांचा काफी जटिल दिखेगा। लेकिन समस्या यह थी कि लैंको इन्फ्राटेक अपनी ऋण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रही और वह दबाव धीरे-धीरे पूरे ढांचे को नीचे गिरा दिया। वर्तमान में, जबकि लैंको इन्फ्राटेक परिसमापन के दौर से गुजर रहा है, इसकी लगभग दस सहायक कंपनियां कॉरपोरेट ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया से गुजर रही हैं और इनमें से अधिकांश की एक या कई सड़क अथवा बिजली परिसंपत्तियों में हिस्सेदारी है। लैंको थर्मल पावर ऐसी ही एक सहायक कंपनी है। उसकी समूह की हरेक बिजली परिसंपत्ति में हिस्सेदारी है, जबकि सीधे तौर पर उसके पास एक पनबिजली परिसंपत्ति है। विभिन्न परिसंपत्तियों में हिस्सेदारी के इस चक्रव्यूह के कारण रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को उसकी वास्तविक परिसंपत्ति का सही मूल्यांकन करने में काफी परेशानी होती है। लैंको थर्मल पावर के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल प्रवीन बंसल ने कहा, 'लैंको थर्मल समूह के थर्मल पावर संयंत्र की होल्डिंग कंपनी है जिसमें 15 विशेष उद्देशीय कंपनियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती उसकी वास्तविक परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करना है।' उन्होंने कहा कि उसके पास सीधे तौर पर एकमात्र पनबिजली परिसंपत्ति है। जबकि शेष सहायक कंपनियों में उसकी हिस्सेदारी के रूप में है। इनमें से अधिकतर सहायक इकाइयां दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं और ऐसे में लैंको थर्मल की हिस्सेदारी शून्य हो गई। बंसल ने कहा, 'केवल दो ऐसी सहायक कंपनियां थीं जो खुद दिवालिया प्रक्रिया से नहीं गुजर रही थीं। उनमें एक गैस-आधारित बिजली संयंत्र और दूसरी ताप बिजली परिसंपत्ति थी।' बंसल की चुनौती इन तीनों- गैस आधारित, पनबिजली और तापीय बिजली परिसंपत्ति में दिलचस्पी रखने वाले किसी खरीदार को तलाशने की है और इनमें से हरेक का अपना महत्त्व और जोखिम हो सकता है।
