छह डेट योजनाओं को बंद किए जाने के संबंध में शनिवार के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के कुछ निश्चित पहलू पर फ्रैंकलिन टेम्पलटन सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकती है। शनिवार को निवेशकों को भेजे नोट में अध्यक्ष संजय सप्रे ने कहा है, हम अभी भी इस आदेश का अध्ययन कर रहे हैं पर शुरुआती समीझा के आधार पर हमारा मानना है कि आदेश के कुछ निश्चित पहलू पर सर्वोच्च न्यायालय में अपील करना जरूरी होगा। उन्होंने कहा, 5,200 करोड़ रुपये नकद वापसी और अतिरिक्त नकदी के संबंध में अदालत से उचित निर्देश हासिल करने की हमारी कोशिश होगी, जबकि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। अदालत ने हालांकि योजनाओं को बंद किए जाने के ट्रस्टियों के फैसले को सही ठहराया है और इस फैसले को लागू करने के लिए नियम 18 (15) (सी) के तहत यूनिटधारकों की सहमति की दरकार होगी। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इसे लागू करने पर छह हफ्ते की रोक लगाई है, जिसका मतलब यह है कि छह योजनाएं इस समय बंद किए जाने के दायरे में है। इससे निवेश निकासी की अनुमति नहीं होगी और ट्रस्टी व एएमसी इस अवधि में कोई उधारी नहीं दे पाएंगे या किसी देनदारी का भुगतान नहीं कर पाएंगे। अदालत ने कहा है कि निवेशक नकदी संपन्न योजनाओं से रकम हासिल करने के हकदार होंगे, अगर योजनाओं को बंद करने के ट्रस्टियों को फैसले को वैध करार दिया जाता है। निवेशकों को तब रकम मिलेगी जब योजनाओं की परिसंपत्तियां बिकेंगी, लेकिन इससे पहले लेनदारों को भुगतान किया जाएगा और खर्च का प्रावधान करना किया जाएगा। फिलिपकैपिटल के कंसल्टेंट जयदीप सेन ने कहा, अदालत ने कहा है कि यूनिधारकों की मंजूरी के बिना योजनाएं बंद करना वैध नहीं है। अगर यूनिटधारक इससे सहमत नहींं होते तो जब यह रीडम्पशन यानी निवेश निकासी के लिए खुलेगा तो उसमें भारी बिकवाली देखने को मिलेगी। इससे कम बिक्री कीमत मिलेगी। अगर सर्वोच्च न्यायालय इस मामले पर स्थगन आदेश जारी करता है तो निवेशकों की रकम कुछ और वक्त तक फंसी रह सकती है।
