स्थानीय सुपरमार्केट पर जाना खरीदार के लिए उत्साहजनक होता जा रहा है। सभी ब्रांडों की प्रोत्साहन गतिविधियों (खासकर होम और पर्सनल केयर) में तेजी आई है, क्योंकि कंपनियों ने बिक्री सुधारने पर जोर दिया है। इसमें कीमत कटौती और उत्पाद के वजन में वृद्घि से लेकर बाई-वन-गेट-वन फ्री जैसे सभी उपाय शामिल हैं। साथ ही कंपनियां रिटेलरों को के लिए ऊंचे व्यापार मार्जिन की भी पेशकश कर रही हैं। बाजार शोध एजेंसी नीलसन के आंकड़ों से पता चलता है कि रिटेलर मुख्य तौर पर ज्यादा बिकने वाले उत्पादों पर ध्यान देने की कोशिश कर रहे हैं। नीलसन का कहना है कि अगस्त-सितंबर में श्रेणियों की औसत संख्या कोविड से पहले की जनवरी-फरवरी की अवधि के मुकाबले पारंपरिक और आधुनिक व्यापार में 3 प्रतिशत घटी, क्योंकि रिटेलरों ने स्टोरों में क्लटर लेवल में कमी लाने की कोशिश की। इस क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि स्टॉक में कमी के कारण जो श्रेणियां प्रभावित हुईं, उनमें मुख्य रूप से होम एवं पर्सनल केयर शामिल थी, जिससे कंपनियों को उपभोक्ता प्रोत्साहनों के साथ साथ व्यापार-स्तर की रियायतें बढ़ाने के लिए आगे आना पड़ा है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि कंपनियों द्वारा रिटेलरों के लिए व्यापार मार्जिन साबुन, डिटरजेंट, शैम्पू, हेयर ऑयल, और कंडीशनर जैसी श्रेणियों में 3-5 प्रतिशत तक बढ़ा है। कंपनियां बड़े पैक पर जोर दे रही हैं और रिटेलरों द्वारा अपने स्टोरों में इन उत्पादों के प्रदर्शन की स्थिति में ज्यादा प्रोत्साहन मुहैया करा रही हैं। डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा, 'मांग घटने की स्थिति में व्यापार माध्यमों का आकर्षण बढ़ा है। पहले की कमजोर मांग की वजह से जून-जुलाई में बिक्री में सुधार दर्ज किया गया। हालांकि अगस्त-सितंबर में इसमें नरमी आनी शुरू हुई है जिससे कंपनियां व्यापार के साथ साथ उपभोक्ता-लेवल के प्रोत्साहनों पर जोर दे रही हैं। मेरा मानना है कि यह रुझान कुछ समय तक बना रहेगा।' बजाज कंज्यूमर केयर के निदेशक सुमित मल्होत्रा का कहना है कि त्योहारी सीजन शुरू होने से खर्च की संभावना बढ़ेगी और इसमें से कुछ सीधे किराना की खरीदारी से जुड़ा होगा। वह कहते हैं, 'उपभोक्ता रियायतें शुरू करने का विचार अब बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।' मल्होत्रा कहते हैं, 'कंपनियां और ज्यादा ऑफरों तथा डिस्काउंट के साथ उपभोक्ताओं को आकर्षित करन त्योहारी सीजन का लाभ उठाना चाहेंगी। महामारी ने लोगों को सुपर बाजारों और किराना स्टोरों पर कम संख्या में जाने के लिए बाध्य किया है। प्रोत्साहन गतिविधि में वृद्घि का मकसद ग्राहकों को ज्यादा खरीदारी के लिए प्रेरित करना है।' ग्रोसरी रिटेलर डीमार्ट ने इस रुझान को इस संकेत से पुष्ट किया है कि अगस्त और सितंबर में स्टोरों पर ग्राहकों की संख्या कोविड से पहले के स्तरों के मुकाबले कम थी। नीलसन ने कहा है कि उपभोक्ता मूल्य के प्रति सजग बने हुए हैं, क्योंकि वे वेतन कटौती के बीच घरेलू खर्च को प्राथमिकता दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, एफएमसीजी उत्पादों के मास और प्राइस सेगमेंट में कोविड-पूर्व स्तरों के मुकाबले अगस्त में तेजी देखी गई थी। इसके विपरीत, प्रीमियम और सुपर-प्रीमियम कीमत बिंदुओं के लिए पसंद में कमी आई। प्राइवेट लेबल का योगदान भी अगस्त में बढ़ गया था, और यह 5.1 प्रतिशत वैल्यू शेयर पर रहा, जबकि महामारी से पहले यह 3.5 प्रतिशत था। एडलवाइस के कार्यकारी उपाध्यक्ष (रिसर्च इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज) अबनीश रॉय का कहना है कि उपभोक्ता खर्च में कमी ला रहे हैं जिससे कंपनियों को प्रोत्साहन और डिस्काउंट के तौर पर उन्हें ज्यादा वैल्यू देने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
