देश में कोविड-19 टीके के दूसरे चरण में टीके लगाने के लिए फार्मासिस्टों की सेवाएं लिए जाने की संभावना है। सरकारी सूत्र यह दावा कर रहे हैं। टीकाकरण का पहला चरण स्वास्थ्य एवं आवश्यक सेवा कर्मियों के लिए जनवरी के आसपास शुरू होने के आसार हैं। एक सूत्र ने कहा, 'पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को टीका दिए जाने की संभावना है। देश में करीब सात 70 लाख स्वास्थ्यकर्मी हैं, लेकिन हम एक करोड़ का आंकड़ा लेकर चल रहे हैं। वहीं हमारा अनुमान है कि पुलिस कर्मियों, नगर निकाय कर्मियों और सैन्यकर्मियों समेत आवश्यक सेवा कर्मियों की संख्या करीब दो करोड़ होगी। इन सभी तीन करोड़ लोगों को जनवरी के आसपास टीका लगाए जाने के आसार हैं।' उस व्यक्ति ने कहा कि भारत में इन तीन करोड़ लोगों को टीका लगाने के लिए पहले ही पर्याप्त संख्या में टीकाकर्मी उपलब्ध हैं। ये टीकाकर्मी प्रशिक्षित भी हैं क्योंकि देश में बड़े जन टीकाकरण कार्यक्रम चल रहे हैं। लेकिन दूसरे चरण में टीकाकर्मियों की जरूरत बहुत अधिक होने के आसार हैं। सूत्र ने कहा, 'जून तक 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य है। हमें नर्सों, एएनएम कर्मियों, बहुउपयोगी पुरुष स्वास्थ्यकर्मियों के अलावा अंतिम वर्ष के एमबीबीएस और नर्सिंग छात्रों का इस्तेमाल करने की जरूरत होगी।' सरकार दूसरे चरण में फार्मासिस्टों के इस्तेमाल के विकल्प का भी आकलन कर रही है। फार्मासिस्ट पहले ही इंजेक्शन देने के लिए काफी प्रशिक्षित होते हैं। अगर उन्हेें अंतिम बिंदुओं या टीका डिलिवरी की जगह पर नियुक्त किया जाता है तो उनके पास फार्मेसी में रेफ्रिजरेटर भी होता है। नई दिल्ली स्थित एक अधिकारी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि कोविड-19 टीकाकरण एक व्यापक जन अभियान हो और हमें सभी वर्गों की भागीदारी की जरूरत होगी। फार्मासिस्टों को भी जोड़े जाने की संभावना है।'देश भर में करीब आठ लाख फार्मेसी हैं। फार्मासिस्ट टीकाकरण अभियान से जुडऩे को लेकर उत्साहित हैं। ऑल इंडियन ओरिजिन केमिस्ट्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (एआईओसीडी) के चेयरमैन जगन्नाथ शिंदे ने कहा कि फार्मासिस्ट पहले ही इन्सुलिन इंजेक्शन देने के लिए प्रशिक्षित लोग होते हैं। उन्होंने कहा, 'वे बुनियादी इंजेक्शन देने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। हम फार्मासिस्टों के लिए रिफ्रेशर कोर्स शुरू करने की योजना बना सकते हैं और प्रत्येक शहर में ऐसी कुछ फार्मेसी चुन सकते हैं, जो कोविड-19 के टीके लगाएंगी।' अपोलो जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियों ने पहले ही प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अपोलो ग्रुप की एक्जीक्यूटिव वाइस-चेयरपर्सन शोभना कामिनेनी ने कहा कि अपोलो के करीब 10,000 कर्मचारियों को टीका लगाने के लिए अपोलो सेंटरों में तैनात किया जाएगा। इनमें 7,000 (6,000 नर्स और 1,000 डॉक्टर) पहले ही प्रशिक्षित हैं, शेष के लिए प्रमाणन कार्यक्रम चल रहा है। हर पेशेवर रोजाना 100 लोगों को टीका लगाएगा। अपोलो समूह में करीब एक लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। अपोलो हॉस्पिटल्स विभिन्न खंडों में कर्मचारियों को चिह्नित और छांट रही है ताकि एक ऐसी टीम बनाई जा सके, जिनके पास टीके लगाने का प्रमाण-पत्र और विशेषज्ञता होगी। मौजूदा नियमन फार्मासिस्ट को टीके लगाने की मंजूरी नहीं देते हैं। हालांकि एमडीएसई के तहत आने वाली एक प्रमाणन संस्था हेल्थकेयर सेक्टर स्किल काउंसिल (एचएसएससी) स्वास्थ्यकर्मियों के अपनी नौकरी के दौरान सीखने की पहचान करने के लिए प्रशिक्षण एवं प्रमाणन कोर्स चलाती है। अपोलो फार्मेसी अपने विशेषज्ञ फार्मासिस्ट के प्रमाणन के लिए उनके साथ काम कर रही है। प्रमाण-पत्र मिलने पर ये स्वास्थ्यकर्मी जनरल ड्यूटी असिस्टेंट के रूप में टीके लगाने के लिए योग्य होंगे। कामिनेनी ने कहा, 'हम अपने 3,000 से अधिक फार्मासिस्ट को यह प्रशिक्षण दिला रहे हैं। हम कोविड-19 के लिए टीकाकरण के सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत के लोगों को समय पर टीका देने के लिए हमारे पास आवश्यक क्षमता एवं मंजूरी होगी।'
