जेके टायर ऐंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर एक राज्य सरकार द्वारा बोली में धांधली का आरोप लगाए जाने के बाद भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) मामले की जांच कर रहा है। सूत्रों और कानूनी दस्तावेजों के अनुसार, जांच के दायरे में कई अन्य कंपनियों को भी शामिल किया गया है। आरोप में कहा गया है कि सार्वजनिक परिवहन वाहनों के लिए टायरों की आपूर्ति के लिए बोली के दौरान जेके टायर ने अनुचित व्यापार प्रथा का इस्तेमाल किया था। उसके बाद प्रतिस्पर्धा आयोग ने पिछले साल कंपनी के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। इस मामले के विवरण और प्रतिस्पर्धा आयोग के शुरुआती आकलन के बारे में जानकारी जेके टायर द्वारा प्रतिस्पर्धा आयोग की मांग के खिलाफ अपील में दी गई है। उन दस्तावेजों को रॉयटर्स ने भी देखी है। इसका खुलासा पहले नहीं किया गया था और सीसीआई कार्टेल मामलों में वर्तमान जांच का खुलासा नहीं करता है। जमा कराए गए दस्तावेजों के अनुसार, हरियाणा राज्य ने प्रतिस्पर्धा आयोग को बताया कि जेके टायर उस निविदा में एकमात्र बोलीदाता थी और उसने उच्च कीमतों का हवाला दिया था। नवंबर में आयोग ने मामले की जांच का आदेश दिया जिसमें कहा गया था कि अन्य टायर निर्माताओं की भागीदारी न होने से बोली में धांधली का मामला बनता है। एक जेके टायर के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया क्योंकि मामला फिलहाल अदालत में है। इसी साल अगस्त में प्रतिस्पर्धा आयोग ने इस मामले में अपोलो टायर्स, सीईएटी, एमआरएफ और फ्रांस की मिशेलिन एवं जर्मनी की कॉन्टिनेंटल एजी की भारतीय इकाई सहित अन्य टायर कंपनियों की भूमिका की जांच करने का निर्णय लिया था। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
