निवेशकों को अपनी ताजा रिपोर्ट 'ग्रीड ऐंड फीयर' में जेफरीज के वैश्विक प्रमुख (इक्विटी स्ट्रेटेजीज) क्रिस्टोफर वुड ने कहा है कि उन्होंने अपने एशिया पैसीफिक (जापान को छोड़कर) केंद्रित रिटर्न पोर्टफोलियो में भारतीय इक्विटी के लिए आवंटन एक प्रतिशत तक बढ़ाया है और एशिया एक्स-जापान लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो में एचडीएफसी में मौजूदा निवेश में दो प्रतिशत का इजाफा किया है। 2.6 गुना के पांच वर्षीय औसत प्राइस-टु-बुक रेशियो (पी/बीवी) के मुकाबले 12 महीने की आगामी समायोजित बुक के 2 गुना पर, वुड का मानना है कि एचडीएफसी का मूल्यांकन आकर्षक बना हुआ है। वुड ने लिखा है, 'कम ब्याज दरों और आवासीय संपत्ति कीमतों में लंबी गिरावट को देखते हुए आवास वित्त की स्थिति काफी स्पष्ट है। एचडीएफसी इस संबंध में खास नाम है और बड़ी बाजार भागीदारी हासिल करने के लिए तैयार है, क्योंकि दबावग्रस्त ऋणदाताओं को इस क्षेत्र में गतिविधियां सीमित करने के लिए बाध्य होना पड़ा है और यही वजह है कि ग्रीड ऐंड फीयर ने एशिया एक्स-जापान लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो का भारांक 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया है।' भारतीय शेयरों में, एचडीएफसी के अलावा, वुड के एशिया एक्स-जापान थीमेटिक इक्विटी पोर्टफोलियो में लंबी अवधि के निवेशकों के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज, मारुति सुजूकी, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, डीएलएफ और सिप्ला मौजूद हैं। दूसरी तरफ,मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषक वित्तीय क्षेत्र के साथ सतर्कता के साथ कारोबार कर रहे हैं और सुझाव दे रहे हैं कि यह क्षेत्र मंदी के नए बाजार में अपना दबदबा खो सकता है। मॉर्गन स्टैनली में भारतीय शोध प्रमुख एवं भारतीय इक्विटी रणनीतिकार रिधम देसाई ने शीला राठी के साथ तैयार की गई 9 अक्टूबर की रिपोर्ट में कहा है, 'गैर-बैंकों को वृद्घि पर दबाव का सामना करना पड़ा है। हमारा मानना है कि एक राहत पैकेज जरूरी है, लेकिन क्षेत्र का प्रदर्शन कुछ ही मजबूत बैंकों तक सीमित रह सकता है। हम वित्त में तेजी की स्थिति में विक्रेता हैं।'गिरावट पर खरीदें मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि भविष्य में सरकार द्वारा अपनाए जाने वाले नीतिगत उपायों से इक्विटी में विदेशी पूंजी आकर्षित करने में लंबा समय लगेगा। हालांकि अल्पावधि में बाजार का प्रदर्शन वैश्विक कारकों पर निर्भर है और इससे बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी। मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि भारत को ऐसे नीतिगत प्रयास बरकरार रखने की जरूरत है जो बाजार कारोबारियों की नजरों में संभावित वृद्घि के लिए अनुकूल हों। मार्च 2020 के निचले स्तरों से, प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी-50 करीब 53 प्रतिशत की तेजी पहले ही दर्ज कर चुके हैं और उन्होंने अप्रैल के शुरू से उभरते बाजारों को मात दी है। देसाई और राठी ने कहा है, 'हम ऐसी किसी भी गिरावट में खरीदार बने हुए हैं जिसमें मूल्यांकन आकर्षक हो। प्रमुख सूचकांक अच्छा प्रदर्शन करेंगे, जो हमारे उस थीम के अनुरूप है कि यह शेयर चयनकर्ताओं का बाजार है। रक्षात्मक के बजाय चक्रीयता को पसंद करें। हम जिन थीमों को पसंद कर रहे हैं, उनमें कृषि, निर्माण मुख्य रूप से शामिल हैं।' अपने आधार मामले के तौर पर, उन्हें उम्मीद है कि बीएसई का सेंसेक्स जून 2021 तक गिरकर करीब 37,300 के आंकड़े पर पहुंच जाएगा, जो मौजूदा स्तरों के मुकाबले करीब 6.5 प्रतिशत कम है। देसाई और राठी ने लिखा है, 'हमारे जून 2021 के लक्ष्यों से पता चलता है कि बीएसई सेंसेक्स का 17 गुना का आगामी पी/ई मल्टीपल और 23.6 गुना का पिछला पी/ई, 19.7 गुना के 25 वर्षीय ट्रेलिंग औसत के मुकाबले 15 प्रतिशत कम है, इसकी वजह यह है कि वित्त वर्ष 2021 की आय पर दबाव पैदा होने की आशंका है।' अपने तेजी (30 प्रतिशत संभावना) और मंदी के मामले (20 प्रतिशत संभावना) में, देसाई और राठी को सेंसेक्स के 45,000 और 28,000 के स्तरों पर पहुंचने की संभावना है।
