एक-दिवसीय कारोबार निपटान चक्र (उद्योग की भाषा में टी+1 का नाम दिया गया है) घरेलू बाजारों के लिए सफल नहीं होने वाला सपना साबित हो सकता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रस्ताव का विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा कड़ा विरोध किया गया है और उन्होंने इसे सिर्फ भारतीय बाजार के अनुकूल करार दिया है। उद्योग संस्था एशिया सिक्योरिटीज इंडस्ट्री ऐंड फाइनैंशियल मार्केट्स एसोसिएशन (आसिफमा) ने बाजार नियामक और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर निपटान चक्र को लेकर एफपीआई की राह में आने वाली परिचालन दिक्कतों से अवगत कराया है। मौजूदा समय में, घरेलू इक्विटी बाजार टी+2 निपटान व्यवस्था पर अमल करते हैं, जिसमें खरीदार और विक्रेता के बीच नकदी और प्रतिभूतियों का स्थानांतरण कारोबारी दिवस के बाद दो दिन में पूरा होता है। सूत्रों का कहना है कि आसिफमा के पत्र में टाइम जोन अंतर, जटिल सूचना प्रवाह प्रक्रिया और विदेशी एक्सचेंज से संबंधित समस्याओं जैसी परिचालन चुनौतियों का जिक्र किया गया है। हांगकांग स्थित इस संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि निपटान चक्र को घटाए जाने से बड़े निवेशक घरेलू बाजार में पोजीशन लेने से परहेज कर सकते हैं और इससे निपटान में विफलता के मामले बढ़ सकते हैं। आसिफमा को इस संबंध में भेजे गए ईमेल का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि एफपीआई के लिए मुख्य चुनौती अलग अलग टाइम जोन को लेकर बनी रहेगी, क्योंकि ग्राहक यूरोप, अमेरिका, हांगकांग और सिंगापुर से भी हैं। एक कानूनी विश्लेषक ने कहा, 'कॉन्ट्रैक्ट नोट्स प्राप्त करने और ऑर्डर मिलान की प्रक्रिया अक्सर ट्रेडिंग के अगले दिन से जुड़ी होती है। इसके अलावा, कई संस्थागत ग्राहकों के लिए वैश्विक और घरेलू कस्टोडियन के बीच सूचना का प्रवाह एक जटिल प्रक्रिया है। बेहद खास बात यह है कि निपटान चक्र घटने से विदेशी मुद्रा की बुकिंग और कोषों की आवाजाही की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।'
