दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए पूर्व न्यायधीश एमबी लोकुर की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। एक सदस्यीय समिति का सहयोग संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव करेंगे। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नागरिकों को 'सांस लेने का अधिकार' है और अस्वास्थ्य के अनुपात को लेकर कोई परिकल्पना करने के पहले कुछ निगरानी की जरूरत है। भारत के मुख्य न्यायधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता में तीन न्यायधीशों के पीठ ने आदेश दिया कि दिल्ली के सभी संबंधित प्राधिकारी और पर्यावरण प्रदूषण (बचाव व नियंत्रण) प्राधिकरण न्यायमूर्ति लोकुर समिति को रिपोर्ट देंगे। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध की मांग को लेकर दो पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह फैसला किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि नैशनल कैडेट कोर (एनसीसी), भारत स्काउट ऐंड गाइड और नैशनल सर्विस स्कीम को लोकुर समिति की सहायता में लगाया जा सकता है, जो राज्यों के कृषि क्षेत्रों में पराली जलाने की निगरानी करें। न्यायालय ने कहा, 'हमें विश्वास है कि प्रभारी अधिकारी लोकुर समिति की इस मकसद में मदद करेंगे। इसके साथ ही हम यह निर्देश देते हैं कि पराली जलाने को रोकने के लिए पंजाब और हरियाणा में पहले से मौजूद दल रिपोर्ट करेगा और लोकुर समिति से इस सिलसिले में दिशानिर्देश प्राप्त करेगा।' केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पहले ही प्रदूषण पर निगरानी के लिए पांच राज्यों में 50 दल तैनात किए हैं। यह दल 15 अक्टूबर से इलाकों का दौरा कर रहा है और यह 28 फरवरी तक जारी रहेगा।
