आरबीआई के ओएमओ को मिली 5 गुना बोली | अनूप रॉय / मुंबई October 16, 2020 | | | | |
इस वित्त वर्ष में भारतीय रिजर्व बैंक के पहले आउटराइट ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) को 20,000 करोड़ रुपये के पेशकश के मुकाबले 5 गुने से ज्यादा की बोली मिली है। केंद्रीय बैंक को 1,13,654 करोड़ रुपये की बोली मिली और उसने चार प्रतिभूतियों की 20,000 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार कर ली। इस वित्त वर्ष में यह पहला आउटराइट ओएमओ है क्योंकि केंद्रीय बैंक ने सितंबर में 10,000 करोड़ रुपये का एक ओएमओ रद्द कर दिया था।
गुरुवार के ओएमओ में आरबीआई ने छह साल में परिपक्व होने वाले बॉन्ड के लिए 6,600 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार की जबकि आठ साल वाले बॉन्ड के लिए 5,177 करोड़ रुपये, 10 साल वाले बॉन्ड के लिए 3,475 करोड़ रुपये और 2033 में परिपक्व होने वाले बॉन्ड के लिए 4,748 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार की। बॉन्डों पर प्रतिभूति के मुताबिक कोई सीमा नहीं थी। 10 वर्षीय बॉन्ड का कटऑफ 5.8956 फीसदी रहा। 10 वर्षीय बॉन्ड पुराना बेंचमार्क था, जिसे महज तीन महीने बाद जारी करना बंद कर दिया गया।
एक विदेशी बैंक के वरिष्ठ बॉन्ड डीलर ने कहा, ओएमओ के लिए प्रतिक्रिया अच्छी रही और आरबीआई की तरफ से स्वीकार्यता भी उत्साहजनक थी। नीति के बाद बाजार और आरबीआई के बीच जुड़ाव को लेकर परेशानियां दूर कर दी गई और इसकी कोई वजह नहीं है कि बाकी बचा उधारी कार्यक्रम 6 फीसदी प्रतिफल से कम पर पूरा क्यों नहीं पूरा किया जा सकता।
एयू स्मॉल फाइनैंस बैंक के परिसंपत्ति-देनदारी प्रबंधन प्रमुख देवेंद्र दास ने कहा, कटऑफ प्रतिफल उम्मीद से थोड़ा कम रहा, लेकिन पूरी रकम की स्वीकार्यता अपने आप में कामयाबी है।
9 अक्टूबर की मौद्रिक नीति के दौरान केंद्रीय बैंक ने ओएमओ का आकार दोगुना कर 20,000 करोड़ रुपये कर दिया था। रिजर्व बैंंक के गवर्नर ने पॉलिसी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बॉन्ड बाजार को लंबा चौड़ा संदेश भेजने में किया और बाजार से उधारी कार्यक्रम में सहयोग मांगा। साथ ही कहा कि केंद्रीय बैंक हर तरह की सहायता करने के लिए तैयार रहेगा।
हालांकि केंद्रीय बैंक विगत में 10 साल के बॉन्ड की नीलामी विकसित कर चुका है और एक ओएमओ रद्द कर चुका है ताकि बाजार प्रतिफल को 6 फीसदी के नीचे रखे। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक प्राथमिक डीलरों से बॉन्डों की खरीद जारी रखे हुए है ताकि प्रतिफल नियंत्रण में रहे और डीलरों की क्षतिपूर्ति हो जाए। इस वित्त वर्ष में अब तक केंद्रीय बैंक ने करीब 2 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं और इनमें से ज्यादातर अज्ञात रूप से खरीदे गए। लेकिन आरबीआई ने बाजार के प्रतिफल पर बॉन्ड बेचने से इनकार कर दिया और ओएमओ रद्द कर दिया।
हालांकि मौद्रिक नीति के बाद प्रतिफल तेजी से घटा क्योंकि केंद्रीय बैंक ने पर्याप्त नकदी की सहायता का आश्वासन दिया। 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 5.89 फीसदी पर बंद हआ, जो पॉलिसी के पहले के स्तर 6 फीसदी से ऊपर था।
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