'ओपीडी के लिए बढ़ाएं स्वास्थ्य बीमा का दायरा' | सुब्रत पांडा / मुंबई October 16, 2020 | | | | |
बहिरंग रोगी (ओपीडी) देखभाल को स्वास्थ्य बीमा प्रणाली के हिस्से के तौर पर शामिल करने के लिए बीमाकर्ताओं को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में विस्तार करने की जरूरत है ताकि बीमा खरीदने के लिए युवा पेशेवरों को आकर्षित किया जा सके। आईआरडीएआई के चेयरमैन ने कहा कि बीमाकर्ताओं के लिए यह समय प्राथमिक और द्वितीयक देखभाल तथा रोकथाम देखभाल की ओर बढऩे का है क्योंकि काफी समय से उनका ध्यान तृतीयक देखभाल और अस्पताल में भर्ती होने पर है।
सामान्यतया, स्वास्थ्य बीमा की भूमिका तब शुरू होती है जब रोगी अस्पताल में भर्ती हो जाता है। ओपीडी या बहिरंग रोगी विभाग का उपचार किसी चिकित्सा पेशेवर या डॉक्टर की सलाह पर उपचार और निदान को संदर्भित करता है। इसके लिए केवल डॉक्टर के क्लीनिक या मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में डॉक्टर के परामर्श कक्ष में जाना पड़ता है। कई निजी बीमाकर्ता बहिरंग रोगी देखभाल के लिए कवरेज प्रदान करते हैं। लेकिन उसका प्रीमियम वाकई में काफी अधिक होता है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के स्वास्थ्य बीमा शिखर स मेलन में बोलते हुए आईआरडीएआई के चेयरमैन सुभाष चंद्र खुंटिया ने बीमाकर्ताओं से रोग के मुताबिक उत्पाद विकसित करने की अपील की जो बीमाधाकरों को विभिन्न बीमारियों को रोकने में मददगार हो सकता है। उन्होंने कहा, 'मैं बीमाकर्ताओं से अपील करूंगा कि वे और अधिक बीमारी के मुताबिक उत्पाद विकसित करें जैसे कि मधुमेह या हृदय या फिर गुर्दा संबंधी आदि बीमारियों के मुताबिक उत्पाद लाया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि बीमाकर्ताओं को स्वास्थ्य बीमा के लिए युवाओं को आकर्षित करने की जरूरत है।
खुंटिया ने कहा, 'युवाओं में यह भावना आम होती है कि वे बुजुर्गों के मुकाबले अधिक स्वस्थ हैं। इसलिए, हम देखते हैं कि स्वास्थ्य बीमा का एक बड़ा अनुपात 40 से 50 वर्ष के आयुवर्ग में दिखाई पड़ता है।'
महामारी को देखते हुए उपभोक्ताओं की ओर से स्वास्थ्य बीमा की मांग में भारी उछाल नजर आई है। ऐसे समय पर जब महामारी के कारण लगाए लॉकडाउन से गैर-जीवन बीमा उद्योग परेशान है तब वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में स्वास्थ्य बीमा में पिछले वर्ष से13.4 फीसदी की वृद्घि हुई है।
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