भारत के स्टार्टअप क्षेत्र में सुधार को लेकर पिछले कुछ महीनों के दौरान जाहिर किए गए अनुमानों के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से सुधार हो रहा है। देश में लॉकडाउन के दौरान चार स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन) का दर्जा हासिल किया।टीआईई दिल्ली- जिनोव की एक रिपोर्ट के अनुसार, 75 फीसदी स्टार्टअप लॉकडाउन के बाद धीरे-धीरे लेकिन लगातार सुधार दर्ज कर रहे हैं। लगभग 30 फीसदी स्टार्टअप ने वैकल्पिक राजस्व स्रोतों के लिए नए बाजारों में कदम रखा है जबकि 55 फीसदी से अधिक स्टार्टअप लाभप्रदता और नकद खर्च को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।डिजिटल खपत में वृद्धि होने से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों को काफी रफ्तार मिली है। जबकि लॉकडाउन केकारण काफी प्रभावित होने वाले यात्रा, आतिथ्य सेवा और मोबिलिटी जैसे कई क्षेत्र अब सुधार की राह पर अग्रसर हैं। स्टार्टअप क्षेत्र से 2020 में समाप्त वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 7 लाख से 7.5 लाख प्रत्यक्ष रोजगार और 26 से 28 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। इससे सुधार को काफी रफ्तार मिलेगी। सिकोया कैपिटल इंडिया के प्रबंध निदेशक और टीआईई दिल्ली के अध्यक्ष रंजन आनंदन ने कहा, 'हालांकि भारतीय स्टार्टअप परिवेश पर लॉकडाउन का तात्कालिक प्रभाव गंभीर था लेकिन हम यह देख कर चकित हैं कि भारतीय संस्थापक अपने कारोबार को कितनी जल्दी से पटरी पर ला रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि स्टार्टअप ने अपने नकदी खर्च किस प्रकार कम किया है और उनकी यूनिट अर्थशास्त्र में कितनी तेजी से सुधार हुआ है। डिजिटल आधारित श्रेणियों में उम्मीद से कहीं अधिक रफ्तार के साथ सुधार हुआ है और कई मामलों में तो मांग कोविड पूर्व स्तर के मुकाबले काफी अच्छी है।'आनंदन ने कहा, 'निवेशक धारणा में भी तेजी से सुधार हुआ है और हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय यूनिकॉर्न क्लब 2020 और 2021 में तेजी से विस्तार करेगा। हालांकि कोविड-19 को स्टार्टअप क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका रहा है लेकिन हमारा मानना है कि इस वैश्विक महामारी के कारण जो बदलाव हुए हैं वे हमारे परिवेश को मजबूत बनाएंगे। भारत 2025 तक 100 यूनिकॉर्न तैयार करने की राह पर है।'
