वित्त वर्ष 2021 में शेयर पुनर्खरीद पिछले साल से ज्यादा | समी मोडक / मुंबई October 14, 2020 | | | | |
इस वित्त वर्ष के लिए शेयर पुनर्खरीद पिछले साल के स्तर को पार कर गई है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और विप्रो द्वारा शेयर पुनर्खरीद कार्यक्रमों की घोषणा के बाद इसमें तेजी आई है।
दो आईटी कंपनियों द्वारा घोषित पुनर्खरीद के बाद, इस साल की पुनर्खरीद का आंकड़ा 28,430 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है जो 2019-20 में दर्ज आंकड़े के मुकाबले 42 प्रतिशत ज्यादा है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान, पुनर्खरीद गतिविधि 20 प्रतिशत कर की पेशकश के बाद 64 प्रतिशत घट गई थी। अच्छी मांग के बावजूद, पुनर्खरीद कर को नहीं हटाया गया था। लेकिन इस साल से लाभांश कर ढांचे में बदलाव से एक बार फिर हालात पुनर्खरीद के अनुकूल हुए हैं।
इंडसलॉ में पार्टनर मंशूर नजकी ने कहा, 'पुनर्खरीद फाइनैंस ऐक्ट में किए गए संशोधनों के बाद से शेयरधारकों को पूंजी लौटाने के लिए एक पसंदीदा विकल्प के तौर पर उभरी है। लाभांश अब शेयरधारकों के हाथ में कर योग्य बन गया है जबकि कंपनियां पुनर्खरीद के मामले में 'वितरित आय' पर कर चुकाती हैं। इसलिए प्रवर्तकों, खासकर भारतीय प्रवर्तकों के लिए यह पुनर्खरीद के जरिये नकदी प्रबंधन के लिए ज्यादा कर किफायती है।'
पिछले सप्ताह, टीसीएस ने 16,000 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद की घोषणा की थी। इसी तरह कंपनी ने वित्त वर्ष 2019 में पुनर्खरीद की घोषणा की थी, लेकिन पिछले साल यह इसमें सफल नहीं रही। मंगलवार को, विप्रो ने भी 9,500 करोड़ रुपये के शेयर पुनर्खरीद कार्यक्रम की घोषणा की। बेंगलूरु स्थित इस कंपनी ने पिछले साल 10,500 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद की थी। हालांकि, उसे पुनर्खरीद कर से छूट हासिल हुई थी, क्योंकि पुनर्खरीद घोषणा 5 जुलाई, 2019 से पहले की गई थी, जो नए कर लागू करने के लिए सरकार द्वारा तय की गई तारीख थी।
1 अप्रैल, 2020 से सरकार ने लाभांश वितरण पर 10 प्रतिशत कर हटा दिया है, हालांकि यह कर शेयरधारकों को मिलने वाले लाभांश पर लगेगा। इसके परिणामस्वरूप, प्रवर्तकों और अन्य बड़े शेयरधारकों को लाभांश 40 प्रतिशत से ज्यादा का कर चुकाना होगा, जो सर्वाधिक कर स्लैब है।
कुछ विश्लेषकों द्वारा मौजूदा कर व्यवस्था के तहत पुनर्खरीद और लाभांश के बीच चयन उतना आसान नहीं है।
खेतान ऐंड कंपनी मेें पार्टनर इंदरुज राय ने कहा, 'लाभांश पर कराधान में आए बदलाव के साथ, वितरण कंपनी द्वारा कर भुगतान के बजाय अब शेयरधारकों पर यह कर लागू है, जिससे
लाभांश प्रवासी शेयरधारक द्वारा कर के नजरिये से पसंदीदा विकल्प होगा, क्योंकि कुछ कर संधियां कम कर दर (जैसे 5 प्रतिशत) से जुड़ी हुई हैं। हालांकि भारतीय शेयरधारकों के संदर्भ में लाभांश आय पर ऊंची दर पर कर लगेगा और इसलिए वे पुनर्खरीद को पसंदीदा विकल्प के तौर पर चुनेंगे।' बाजार पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऊंची प्रवर्तक होल्डिंग वाली नकदी संपन्न कंपनियां इस साल पुनर्खरीद पर ध्यान बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा, प्रवर्तकों के लिए कर-अनुकूल होने की वजह से भी पुनर्खरीद वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाती है।
|