शानदार प्रदर्शन वाली टियर-1 आईटी कंपनी का शेयर बुधवार को 6 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया। बाजार का मानना है कि अच्छी तेजी और ऊंचे मूल्यांकन को देखते हुए विप्रो के लिए भविष्य में रिस्क रिवार्ड प्रतिकूल हो सकता है। रिलायंस सिक्योरिटीज के सुयोग कुलकर्णी का मानना है कि शेयर में करीब 7 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह शेयर इस साल अब तक 40 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ गया था। अपने एक वर्षीय आगामी अनुमानों के 19.2 गुना पर, यह शेयर उस मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा है जो 13 वर्षों में सर्वाधिक है। इसके अलावा, 30 प्रतिशत पर मौजूदा मूल्यांकन भी 5 साल के औसत के मुकाबले महंगा है। कुछ ब्रोकरों का मानना है कि शेयर में रेटिंग में सुधार की गुंजाइश नहीं दिख रही है। बिक्री रेटिंग देने वाली गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों का कहना है कि पुनर्खरीद से राहत गुजरने के साथ इस शेयर की रेटिंग में प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कमजोर बुनियादी आधार को मुख्य तौर पर शामिल किए जाने की आशंका है। साथ ही यह भी चिंता बनी हुई है कि कंपनी टीसीएस और इन्फोसिस जैसी अपनी बड़ी प्रतिस्पर्धियों के हाथों अपनी बाजार भागीदारी गंवा सकती है। हालांकि विप्रो ने अपने पिछले कमजोर प्रदर्शन के बाद मार्जिन और राजस्व में सुधार दर्ज किया है, लेकिन ब्रोकर रणनीति में ताजा बदलाव के सकारात्मक असर का इंतजार कर रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल के मोहित शर्मा और हीनल गाडा इस शेयर पर तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं, क्योंकि वे विप्रो की नई रणनीति और पिछले दशक के दौरान उसकी चुनौतियों के बाद अब सकारात्मक बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। विप्रो को पिछले समय में कमजोर राजस्व वृद्घि, घटते मार्जिन, सौदों के नवीकरण में बाजार भागीदारी नुकसान और मूल्य निर्धारण दबाव की वजह से अपने प्रतिस्पर्धियों से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उसका ब्याज एवं कर पूर्व मार्जिन वित्त वर्ष 2018 के अंत में घटकर 15.5 प्रतिशत रह गया था, जो वित्त वर्ष 2015 के शुरू में 24.5 प्रतिशत था। हेल्थकेयर और परिचालन के पुनर्गठन जैसे वर्टिकलों में ज्यादा ऋण जोखिम से कंपनी की राजस्व वृद्घि प्रभावित हुई थी।
