मशहूर कंपनी ऐपल के उत्पाद खरीदने के लिए सबसे अच्छी जगह ऐपल के स्टोर ही हैं। शायद इसी वजह से अमेरिका की इस दिग्गज तकनीक कंपनी ने पिछले महीने ऑनलाइन ऐपल स्टोर खोला है। कंपनी ने अमेरिका में पहला ऑनलाइन आउटलेट खोलने के 23 साल बाद और 2001 में अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया के टायसन कॉर्नर के खरीदारी केंद्र मैकलीन और ग्लेंडाले गैलेरिया में खुदरा दुकान खोलने के 19 साल बाद भारत में अपना स्टोर खोला है। ऑनलाइन लॉन्च का मतलब यह है कि अगले साल तक भारत में इसका रिटेल आउटलेट भी खुल जाएगा। ऐसे में भारत में ऐपल के स्टोर में ऐपल खरीदने का वास्तविक अनुभव भी अनूठा होगा क्योंकि इसके स्टोर में 'जीनियस बार' जैसे खास फीचर भी होंगे जिसका प्रदर्शन कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने लगभग दो दशक पहले की थी। ऐसे में सवाल यह है कि दुनिया की दिग्गज कंपनियों में से एक, ऐपल आखिर भारत जैसे बाजार में अपनी ऑनलाइन शुरुआत इतनी देरी से क्यों कर रही है? सरकारी अधिकारी और उद्योग से जुड़े लोग बताते हैं कि वॉलमार्ट के अलावा ऐपल सबसे बड़ा ब्रांड रहा है और यह भारत के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ डीआई) के लिए काफी लंबे समय तक बातचीत में लगा रहा है। इस लिहाज से ऐपल का ऑनलाइन लॉन्च एकल ब्रांड खुदरा में एफ डीआई के लिए सफ लता का प्रतीक है। हालांकि इस बात के कोई संकेत नहीं है कि सिलिकन वैली की दिग्गज कंपनी देश में कितना निवेश करेगी। बहु ब्रांड खुदरा नीति के न होने और 51 फीसदी एफ डीआई की अनुमति के बावजूद वॉलमार्ट स्टोर स्थापित करने में नाकाम रही। ऐसे में ऐपल के प्रवेश को एक अहम मोड़ की तरह देखा जा रहा है। इसकी जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि ऐपल भारत में एकल ब्रांड एफ डीआई नीति से जुड़ी सामान खरीद या स्रोत की नीति के लिए अनिवार्य 30 फीसदी के नियमों में ढील दिए जाने का इंतजार कर रही थी। वहीं मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने एकल ब्रांड में 100 फीसदी एफ डीआई की अनुमति दी थी जिसकी वजह से स्वीडन की आइकिया को 10 साल में 10,500 करोड़ रुपये के निवेश की अनुमति मिली। ऐपल ने सामान या स्रोत से जुड़े दिशानिर्देशों को सरल बनाने के लिए सरकार के साथ बातचीत जारी रखते हुए भारत की अपनी योजना को स्थगित रखा था। इस बात से ऐपल को मदद मिली कि आइकिया भी स्रोत की खरीद से जुड़े नियमों में बदलाव के लिए आक्रामक तरीके से बातचीत कर रही है। पिछले साल नरेंद्र मोदी की सरकार ने जब अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया तब सामान की खरीद या स्रोत के नियमों में आगे छूट दी गई। इस कदम से सबसे बड़े एकल ब्रांड एफ डीआई ऐपल को मदद मिली। आखिर वास्तव में क्या बदल गया है और कैसे? कंपनी के सीईओ टिम कुक ने 2016 में कई शहरों में हफ्ते भर यात्रा की जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात भी शामिल है। यह इस बात का सबूत था कि ऐपल भारत को लेकर गंभीर है लेकिन कंपनी अपनी शर्तों पर ही स्टोर खोलेगी। वहां से सरकार काफी रफ्तार पर काम करती रही। पहले यह नीति थी कि देश में बेचे जाने वाले सामान का 30 फीसदी हिस्सा देश से ही खरीदा जाना चाहिए लेकिन अगस्त 2019 में सरकार ने सोर्सिंग की परिभाषा का विस्तार किया। इनके स्रोत खरीद के मानदंडों के अनुपालन को ध्यान में रखते हुए निर्यात सहित किसी भी कंपनी द्वारा खरीद को ध्यान में रखने की अनुमति दी गई। इसके साथ ही भारत से अनिवार्य खरीद के नियमों का बोझ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काफी कम हो गया चाहे वह आइकिया हो या ऐपल। एक अन्य छूट में कंपनियों को पहले पांच वर्षों के दौरान और उसके बाद स्थानीय सोर्सिंग की आवश्यकताओं को एक औसत के रूप में पूरा करने के लिए स्वतंत्र कर दिया गया। इसके अलावा, एकल ब्रांड खुदरा शृंखला को देश में कोई स्टोर खोलने से पहले ऑनलाइन स्टोर खोलने की अनुमति दी गई जो कदम अब तक वर्जित था। भारत में आईफोन निर्माता कंपनी ऐपल को खुदरा क्षेत्र में एक प्रमुख एफ डीआई के रूप में देखा जाता है और ऐपल भारत में जिस तरह मौजूद है वैसे ही यह 25 से अधिक देशों में मौजूद है और इसके 500 से अधिक स्टोर हैं। ऐसे में दीर्घावधि का लाभ अहम है। दरअसल, महामारी के दौरान भी भारत उन चार जगहों (सिंगापुर, चीन और थाईलैंड के अलावा) में शामिल था जहां ऐपल ने स्टोर खोलने की पहल की। इस अवधि के दौरान केवल भारत में ही ऑनलाइन ओपनिंग की गई लेकिन ऐपल के प्रशंसकों को यह मालूम होना चाहिए कि दुनिया भर में कंपनी ने ऑनलाइन शुरुआत के बाद ही अपनी खुदरा दुकानें खोली हैं। इसके ऑनलाइन स्टोर 38 देशों में मौजूद हैं और ऐपल खुद को दुनिया की सबसे अनुभवी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक कहलाना पसंद करती है। आईडीसी के शोध निदेशक (डिवाइसेज ऐंड इकोसिस्टम-भारत और दक्षिण एशिया) नवकेंद्र सिंह ने कहा, 'ऐपल लोकेशन के लिहाज से (क्योंकि यह किसी शहर का प्रमुख स्थान होता है) और अनुभव के आधार पर अपने खुदरा स्टोर के लिए जानी जाती है। भारत (मुंबई) में भी एक स्टोर पर काम चल रहा है तो संभव है कि कंपनी ऑनलाइन स्टोर के माध्यम से अपने अनुभव के कुछ पहलुओं को लाने की कोशिश कर सकती है।' आईडीसी के विश्लेषक ने कहा, 'हालांकि भारत लंबी अवधि में ऐपल के लिए एक महत्त्वपूर्ण बाजार है और यह ध्यान देने लायक बात है कि ऐपल बाजार के उस महंगे और सुपर प्रीमियम सेगमेंट से संबंधित है जिसकी हिस्सेदारी 200 डॉलर के स्तर से नीचे 80 फीसदी है। पर्सनल कंप्यूटर और कानों में लगाए जाने वाले उपकरण के क्षेत्र में भी ऐपल के महंगे उत्पाद हैं।' सिंह कहते हैं, 'ऐपल को ऑनलाइन लॉन्च करने की वजह से हम इसकी बाजार हिस्सेदारी पर तत्काल प्रभाव नहीं देख सकते हैं।' उन्होंने कहा कि यह कंपनी द्वारा प्रासंगिकता बढ़ाने और अंतत लंबी अवधि में कारोबार को हासिल करने के लिए उठाए जा रहे कदमों में से एक है। साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप के प्रमुख प्रभु राम के मुताबिक कई सालों के इंतजार के बाद आखिरकार भारत के साथ ऐपल का रिश्ता अब संभावित रूप से मजबूत हो रहा है। सीएमआर के विश्लेषक ने कहा, 'मेरा मानना है कि ऐपल ऑनलाइन स्टोर भारत में ऐपल द्वारा उठाए गए नए कदमों की शृंखला में पहला कदम है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत में बाजार की स्थितियां अनुकूल हैं और ऐपल को मुक्त काम करने का अवसर दे रही हैं।' ऐपल अपने भारत के ऑनलाइन स्टोर में स्थानीय भाषाओं में अनुकूल पहल कर रही है। भारत में ऑनलाइन स्टोर खोलने के साथ-साथ देश में ही फ ॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियों द्वारा ऐपल उपकरणों के निर्माण की ओर कदम बढ़ाया गया है और यह इस तकनीक क्षेत्र की कंपनी के ही काम में आएगा।5जी के लिए आया नया आईफोन ऐपल ने तेज 5जी वायरलेस नेटवर्क का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी तकनीक से लैस चार आईफोन पेश किए हैं। इनमें पहला मॉडल 6.1 इंच डिस्प्ले वाला आईफोन12 है जो आईफोन 11 की तरह ही है लेकिन उससे हल्का और पतला है। इसकी कीमत 800 अमेरिकी डॉलर से शुरू है। दूसरा मॉडल 5.4 इंच डिस्प्ले के साथ आईफोन 12 मिनी है जिसकी कीमत लगभग 700 डॉलर है। उच्च श्रेणी वाले आईफोन 12 प्रो का कैमरा ज्यादा बेहतर है जिसकी कीमत करीब 1000 डॉलर है। चौथा मॉडल 6.7 इंच डिस्प्ले वाला 12 प्रो मैक्स है और इसकी कीमत 1,100 डॉलर से शुरू है। ऐपल के कुछ ग्राहकों को यह जानकार नाराजगी भी हो सकती है कि कंपनी फोन के साथ एडॉप्टर नहीं दे रही है। कंपनी का कहना है कि ऐसा करने से फोन की पैकिंग वाला डिब्बा छोटा और हल्का रहेगा, जो पर्यावरण के अनुकूल और निर्यात के लिए सुविधाजनक है। ऐपल हालांकि पावर एडॉप्टर अलग से बेच रहा है जिसकी कीमत 20 डॉलर से 50 डॉलर के बीच है। भाषा
