बीपीसीएल के निजीकरण की ओर सावधानी से बढ़ रहा भारत | रॉयटर्स / नई दिल्ली October 14, 2020 | | | | |
तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज कहा कि सरकारी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण की दिशा में भारत अपनी योजना पर 'बहुत सावधानी से चल' रहा है। इससे प्रक्रिया में और देरी के संकेत मिलते हैं।
सरकार ने बीपीसीएल में अपनी 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है, जिसकी पहली बार घोषणा नवंबर 2019 में हुई। यह सरकार की दर्जनों सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की योजना का हिस्सा है।
भारत ने मार्च 2021 तक इस वित्त वर्ष के अंत तक हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी। प्रधान ने वर्चुअल एनर्जी कॉन्फ्रेंस में कहा, 'भारत पेट्रोलियम का विनिवेश प्राथमिकता में शामिल है।' उन्होंने कहा, 'लेकिन हम सभी नेटवर्थ बढऩे व आकार पर विचारकर रहे हैं। सरकार विनिवेश के मामले में बहुत सावधानी से एक उचित प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ रही है।'
रॉयटर्स ने पिछले महीने खबर दी थी कि बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया अप्रैल 2021 में शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष तक टल सकती है और संभव है कि सऊदी अरामको और रूस की रोसनेफ्ट इसमें हिस्सा न लें क्योंकि तेल के दाम कम होने के कारण उनकी निवेश योजना प्रभावित हुई है। पिछले साल नवंबर की तुलना में बीपीसीएल के शेयर 38 प्रतिशत गिरे हैं क्योंकि कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंध के कारण भारत में ईंधन की मांग प्रभावित हुई है।
प्रधान ने कहा कि दीर्घावधि के हिसाब से देखें तो भारत में रिफाइंड उत्पादों की मांग बढऩे की संभावना है और इसके लिए भारत की तेल शोधन क्षमता 40 प्रतिशत बढ़ाकर 2030 तक 23 करोड़ टन सालाना या 70 लाख बैरल प्रतिदिन करनी होगी।
सरकारी कंपनी, सऊदी अरामको और अबूधाबी नैशनल ऑयल कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम बनाकर सरकार देश के पश्चिमी तट पर 12 लाख बीपीसीडी क्षमता की रिफाइनरी व पेट्रोकेमिकल संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है।
यह परियोजना अभी अटकी हुई है क्योंकि किसानों के विरोध के कारण संयुक्त उद्यम अभी तक जमीन अधिग्रहण नहीं कर सकेगा। प्रधान ने कहा कि स्थानीय मसलों की वजह से परियोजना प्रभावित हुई है, जिसका समाधान जल्द कर लिया जाएगा।
|