मारुति सुजूकी और हुंडई को छोड़कर अन्य बहुराष्ट्रीय कार विनिर्माताओं को भारतीय कार बाजार से बाहर होना पड़ रहा है। पिछले तीन वर्षों के दौरान वैश्विक कार विनिर्माताओं की बाजार हिस्सेदारी में लगातार गिरावट दर्ज की गई है जबकि वित्त वर्ष 2010 से वित्त वर्ष 2017 के बीच उनकी बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि का रुझान दिखा था।
इन बहुराष्ट्रीय कार कंपनियों की कुल बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020 में घटकर 21.3 फीसदी रह गई जो वित्त वर्ष 2017 में 28.1 फीसदी रही थी। जबकि वित्त वर्ष 2010 से वित्त वर्ष 2017 के बीच उनकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर दोगुनी से अधिक हो गई थी। इन बहुराष्ट्रीय कार विनिर्माताओं में होंडा, टोयोटा, फोर्ड, फोक्सवैगन, रेनो और निसान शामिल हैं।
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के आंकड़ों के अनुसार, इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 2020 में कुल मिलाकर 6.67 लाख वाहनों की बिक्री कीं जबकि वित्त वर्ष 2017 में उनकी एकीकृत बिक्री 10.17 लाख वाहनों की रही थी। इस प्रकार इस अवधि के दौरान उनकी एकीकृत बिक्री में 36 फीसदी की कमी आई।
बहुराष्ट्रीय कार विनिर्माताओं की भारतीय सहायक कंपनियों के राजस्व में भी गिरावट का रुझान दिख रहा है। टोयोटा किर्लोस्कर का राजस्व वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2019 के बीच 13.4 फीसदी घट गया जबकि फोक्सवैगन के राजस्व में इस दौरान 30 फीसदी की कमी आई। निसान इंडिया का राजस्व इस अवधि में घटकर करीब आधा रह गया। मारुति सुजूकी, हुंडई, टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा सहित अन्य कार कंपनियों की मात्रात्मक बिक्री में 7.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
कार बाजार में इस दौरान 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई जो वित्त वर्ष 2017 में 37 लाख वाहन से घटकर वित्त वर्ष 2020 में 31.3 लाख वाहन रह गया। जबकि भारत में बाजार वित्त वर्ष 2017 (नोटबंदी वाला वर्ष) में शीर्ष पर रहा जबकि बहुराष्ट्रीय कार कंपनियों की बिक्री सर्वाधिक तेजी वित्त वर्ष 2016 में दिखी।
उदाहरण के लिए, फोक्सवैगन इंडिया की बिक्री पिछले चार वर्र्षों के दौरान करीब 40 फीसदी घट गई। वित्त वर्ष 2016 में कपनी ने 1.36 लाख वाहनों की बिक्री थी जो घटकर वित्त वर्ष 2020 में महज 80 हजार रह गई। टोयोटा किर्लोस्कर ने वित्त वर्ष 2017 में 1.55 लाख वाहनों की बिक्री की थी जो घटकर वित्त वर्ष 2020 में करीब 1 लाख रह गई।
फोर्ड इंडिया की बिक्री वित्त वर्ष 2017 में 2.74 लाख वाहनों की थी जो घटकर वित्त वर्ष 2020 में 1.98 लाख वाहन रह गई। दूसरी ओर, होंडा कार्स के लिए सबसे अच्छा साल वित्त वर्ष 2015 रहा जब उसने 1.97 लाख वाहनों की बिक्री की थी लेकिन उसकी बिक्री घटकर वित्त वर्ष 2020 में महज 95 लाख वाहनों तक रह गई।
निसान मोटर इंडिया और रेनो इंडिया ने सर्वाधिक बिक्री वित्त वर्ष 2017 में दर्ज की थी लेकिन उसके बाद उनकी बिक्री में क्रमश: 42 फीसदी और 34 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसके विपरीत मारुति सुजूकी पर उद्योग की इस गिरावट की मार सबसे कम पड़ी। वित्त वर्ष 2019 तक वह लगातार वृद्धि दर्ज कर रही थी लेकिन उस वर्ष उसकी बिक्री में 18 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।