भारती एयरटेल फाइबर टु द होम (एफटीटीएच) ब्रॉडबैंड सेवा में बड़े पैमाने पर विस्तार करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कंपनी स्थानीय केवल ऑपरेटरों के साथ करार करेगी जो दूरदराज के क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएंगे। कंपनी की योजना अगले 12 से 18 महीनों में देश भर के 1,000 से अधिक शहरों में सेवाएं प्रदान करने की है।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश के 24 करोड़ परिवारों में से करीब 4 करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। इस पहल के साथ ही एयरटेल बाजार में रिलायंस जियो के साथ सीधे तौर पर प्रतिस्पर्धा करेगी। जियो देश के 2,000 शहरों में अपनी एफटीटीएच ब्रॉडबैंड सेवाओं की पेशकश कर रही है और अब उसकी नजर 5 करोड़ परिवारों तक अपनी पहुंच बनाने पर है।
एयरटेल करीब 50 शहरों में इस मॉडल का परीक्षण पहले ही कर चुकी है और अब बड़े पैमाने पर विस्तार करने के लिए तैयार है। केवल ऑपरेटरों के साथ गठजोड़ करने से एयरटेल को दूरदराज के घरों तक फाइबर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इसके लिए दूरसंचार ऑपरेटर ने राजस्व साझेदारी वाले मॉडल को अपनाया है। वे फाइबर बुनियादी ढांचे को भी बनाए रखेंगे। जबकि राजस्व प्रबंधन, ग्राहक सेवा, सामग्री एवं हार्डवेयर जैसे मामलों को एयरटेल देखेगी।
एयरटेल की रणनीति से अवगत एक सूत्र ने कहा, 'फिलहाल घरों के लिए ब्रॉडबैंड सेवा का एआरपीयू (प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व) 700 रुपये है। मान लेते हैं कि प्रत्येक परिवार में एयरटेल के तीन मोबाइल कनेक्शन हैं और वे हमारा डीटीएच कनेक्शन भी लेते हैं तो एयरटेल प्रत्येक परिवार से 1,700 से 1,800 रुपये का एआरपीयू हासिल कर लेगी।'
घरों के लिए ब्रॉडबैंड सेवा के मोर्चे पर एयरटेल की रफ्तार अब तक सुस्त रही है। उसे करीब 120 शहरों तक अपनी पहुंच बनाने और महज 26 लाख ग्राहक जुटाने में कई साल लग गए। कंपनी ने अब एक नई योजना बनाई है जिसके तहत वह इन शहरों में अपने दम पर एफटीटीए कारोबार को आगे बढ़ाना जारी रखेगी जबकि अन्य शहरों में वह स्थानीय केबल ऑपरेटरों के साथ गठजोड़ करेगी।
कई केबल ऑपरेटर पहले से ही बड़े एमएसओ (मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर) के साथ जुड़े हुए हैं। हैथवे एवं डेन जैसे बड़े एमएसओ के अधिग्रहण करने वाली रिलायंस जियो इस बाजार की प्रमुख खिलाड़ी है। हालांकि केबल ऑपरेटरों का एक बड़ा तबका अभी भी स्वतंत्र है। एयरटेल के अंदरूनी सूत्र ने कहा, 'केबल ऑपरेटर सभी के लिए काम करते हैं और वे स्वतंत्र उपक्रम होते हैं। एयरटेल के साथ उनका कोई विशेष सौदा नहीं है और वे प्रतिस्पर्धियों के साथ भी समान व्यवस्था करेंगे।'
एयरटेल विंक, एक्सट्रीम और एयरटेल थैंक्स जैसे अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी भुनाने की संभावनाएं तलाश रही है। सूत्रों ने कहा कि इन सब ने कुल मिलाकर 16.5 करोड़ से अधिक सक्रिय ग्राहकों हर महीने जोड़ा है। कंपनी पहले से ही ग्राहकों को वित्तीय सेवाओं और सामग्री की पेशकश कर रही है और अब वह कारोबार में स्थिरता लाने के लिए अन्य उत्पादों को भी जोड़ेगी। हालांकि जियो के विपरीत एयरटेल शुद्ध ई-कॉमर्स (जैसे ग्रोसरी, लाफस्टाइल आदि) कंपनी नहीं बनेगी क्योंकि इसके लिए अग्रणी मोर्चे पर निवेश की आवश्यकता होगी।
इतना ही नहीं, एयरटेल विज्ञापन राजस्व जुटाने के लिए इस सक्रिय ग्राहक आधार को भुनाने की भी योजना बना रही है। विज्ञापनदाताओं की ओर से मिली प्रतिक्रिया से पता चलता है कि कंपनी अन्य ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म के मुकाबले एयरटेल बेहतर गुणवत्ता वाले ग्राहकों को लक्ष्य कर रही है।
एयरटेल शुल्क दरों में बढ़ोतरी को लेकर भी काफी मुखर रही है। भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील मित्तल ने कहा था कि दूरसंचार कंपनियों के पूंजी निवेश पर उचित रिटर्न हासिल करने के लिए एआरपीयू 300 रुपये होना चाहिए। लेकिन सूत्रों का कहना है कि कंपनी को लगता है कि जियो के मुकाबले उसकी शुल्क दरें (20 फीसदी अधिक) पहले से ही अधिक हैं।