राज्यों द्वारा परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाने पर केंद्र सरकार की कोशिशों से उद्योग को अपने बकाया मिलने की संभावना बढ़ गई है। इसकी वजह यह है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर आधे से ज्यादा खर्च राज्यों द्वारा किया जा रहा है। कुछ विश्लेषकों ने हालांकि ऐसी उधारी की जरूरत पर सवाल उठाया है, क्योंकि राज्य अपनी बुनियादी खर्च जरूरतें पूरी करने में सक्षम नहीं हैं।
बजट 2020 में दिए गए 4.13 लाख करोड़ रुपये के अलावा, 25,000 करोड़ रुपये का केंद्रीय आवंटन सड़कों, रक्षा, जल आपूर्ति, शहरी विकास और घरेलू तौर पर खर्च के लिए मुहैया कराए जाएंगे। उद्योग के एक पेशेवर ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा कि बढ़ते खर्च से आर्थिक गतिविधि में तेजी लाने में मदद मिल सकती है।
हालांकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में पूर्व सचिव विजय छिब्बर ने राज्यों को ऋण देने के लिए केंद्र के इस दृष्टिकोण की आलोचना की है। छिब्बर ने कहा, 'केंद्र सरकार उनके लिए बकाया जीएसटी का भुगतान नहीं कर रही है और अब कह रही है कि वह ब्याज-मुक्त ऋण मुहैया कराएगी। राज्य वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। उनके पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है, तो वे खर्च के लिए भला उधार क्यों लेंगे।' लेकिन केंद्रीय ऋण पूंजीगत खर्च के लिए राज्यों को दिया जाने वाला ब्याज-मुक्त 50 वर्षीय ऋण होगा। हालांकि नई परियोजनाओं के लिए 12,000 करोड़ रुपये हालांकि काफी कम होंगे और इसका इस्तेमाल सिर्फ मौजूदा कार्यों में पैसा लगाने या बकाया चुकाने में ही इस्तेमाल किया जा सकेगा।
इक्रा में कॉरपोरेट रेटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शुभम जैन ने कहा, 'राज्य देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कुल खर्च में 50 प्रतिशत का योगदान पहले से ही दे रहे थे। लेकिन अब उन्होंने इस खर्च में बड़ी कमी लाने का निर्णय लिया है।' उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र ने कोरोनावायरस के प्रसार के बाद अप्रत्याशित खर्च से निपटने के लिए करीब 70,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए मई में नियोजित खर्च में 67 प्रतिशत कटौती की थी। राज्य का कुल नियोजित खर्च करीब 1.11 लाख करोड़ रुपये है।
इक्रा ने मई में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कोविड-19 की वजह से पैदा हुए दबाव की वजह से वित्त वर्ष 2021 में राज्यों के लिए सकल कर संग्रह में भारी कमी आने की आशंका है। राज्य भारी राजस्व घाटे की आशंका जता रहे हैं और पूंजीगत खर्च की उनकी क्षमता काफी घट गई है। कई मामलों में, राजस्व घाटा राज्यों के लिए पूंजीगत खर्च के मानकों के उल्लंघन के लिए मजबूर कर सकता है। वित्त वर्ष 2021 के लिए राज्यों द्वारा कुल पूंजीगत खर्च बजट करीब 5.7 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें भारी कटौती किए जाने का अनुमान है। राज्यों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र सिंचाई, सड़क, मेट्रो और पेयजल आपूर्ति से जुड़ी परियोजाएं हैं।
(साथ में अमृता पिल्लई)