भारती एयरटेल के मुकाबले रिलायंस जियो के सक्रिय ग्राहकों की संख्या में कमी आना चिंता का कारण हो सकता है? दूरसंचार कंपनी के सक्रिय ग्राहकों को विजिटर लोकेशन रजिस्टर (वीएलआर) भी कहते हैं। वीएलआर के तहत वे ग्राहक आते हैं जो मोबाइल नेटवर्क पर सक्रिय हैं और कॉल करने के साथ कॉल रिसीव भी कर रहे हैं। इसके साथ ही इस परिभाषा में वे उपभोक्ता भी आते हैं जिनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ नहीं हैं और न ही नेटवर्क क्षेत्र से बाहर हैं।
कुछ निवेशकों एवं विश्लेषकों के लिए रिलालयंस जियो के सक्रिय ग्राहकों की कम तादाद वाकई चिंता का विषय है। भारतीय दूरसंचार विकास प्राधिरकरण (ट्राई) के जून के आंकड़ों के अनुसार रिलांयंस जियो और एयरटेल के सक्रिय उपभोक्ताओं (वीएलआर) की संख्या कमोबश 31.1 करोड़ के साथ समान है। हालांकि नेटवर्क पर कुल उपभोक्ताओं की संख्या के प्रतिशत के तौर पर इन दोनों प्रतिस्पद्र्धी कंपनियों के सक्रिय उपभोक्ताओं में खासा अंतर है। इनमें सक्रिय एवं निष्क्रिय दोनों उपभोक्ता आते हैं और इसे होम लोकेशन रजिस्टर (एचएलआर) भी कहा जाता है। इस अनुपात को वीएलआर अनुपात के नाम से जाना जाता है।
ट्राई के अनुसार जून में जियो के 8.7 करोड़ से अधिक उपभोक्ता निष्क्रिय थे। इसका सीधा मतलब यह है कि कंपनी के कुल उपभोक्ताओं की संख्या में केवल 78.15 प्रतिशत ही सक्रिय थे। इससे यह चिंता पैदा हो गई है कि जियो अपने सक्रिय उपभोक्ताओं की गिरती संख्या थामने के लिए जद्दोजहद कर रही है। जियो की तुलना में भारती एयरटेल के निष्क्रिय उपभोक्ताओं की संख्या मात्र 60 लाख रही। दूसरे शब्दों में कहें तो इसके कुल सक्रिय ग्राहकों की हिस्सेदारी 98.14 प्रतिशत थी। एचएलआर में उन सभी उपभोक्ताओं की जानकारी होती है जो किसी दूरसंचार कंपनी के साथ होते हैं भले ही वे सक्रिय हैं या निष्क्रिय हैं। जब ट्र्राई बाजार हिस्सेदारी की बात करता है तो सक्रिय एवं निष्क्रिय दोनों उपभोक्ताओं का आंकड़ा देता है। हालांकि वित्तीय विश्लेषकों के अनुसार दूरसंचार कंपनियों के लिए सक्रिय उपभोक्ताओं की तादाद अधिक मायने रखती है। जियो और एयरटेल दोनों ने इस विवादित विषय पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि ऐक्सिस कैपिटल ने कम वीएलआर को तवज्जो नहीं दी।
पहली बात तो यह कि एयरटेल ने तिमाही नतीजों में एक तिहाई ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या का जिक्र किया जिन्होंने 30 दिनों के भीतर अपने कनेक्शन रिचार्ज कराए थे। अगर वे रिचार्ज नहीं करते हैं तो उनकी सेवाएं बाद में बंद कर दी जाती जाती हैं। जून में एयरटेल ने 28 करोड़ ऐसे उपभोक्ताओं का आंकड़ा पेश किया जो एयरटेल के एचएलआर आंकड़ों (ट्राई द्वारा दिए आंकड़े) का 88.4 प्रतिशत है। जून तिमाही में जियो के उपभोक्ताओं की संख्या उसके एचएलआर के बराबर ही थी। अगर इन दोनों आंकड़ों पर विचार करें तो एयरटेल के भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं और जियो के वीएलआर के बीच अंतर 10 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
ऐक्सिस कैपिटल के अनुसार दूसरी अहम बात यह है कि जियो का पूरा नेटवर्क 4जी है और ऐसे लोग इसका इस्तेमाल अधिक करते हैं जो केवल डेटा सेवाएं लेते हैं। जियो के उपभोक्ताओं में डोंगल का इस्तेमाल करने वाले खासे लोग हैं, जो दिन में एक खास समय में सक्रिय होते हैं न कि मोबाइल उपभोक्ताओं की तरह हमेशा सक्रिय रहते हैं।
ऐक्सिस कैपिटल के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में जियो के उपभोक्ता (जून में 16.63 करोड़) हैं, जो विभिन्न कारणों से दिन भर अपना मोबाइल फोन स्विच ऑन नहीं रखते हैं। अगर ऐसे लोगों की तादाद 10 प्रतिशत मान लें तो इससे भी वीएलआर में 3 से 5 प्रतिशत का अंतर आ जाता है। जियो के साथ एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह अपने निष्क्रिय ग्राहकों की इनकमिंग कॉल 180 दिन बाद बंद करता है, जबकि दूसरी दूरसंचार कंपनियां 90 दिनों में ही ऐसे उपभोक्ताओं को बाहर कर देती हैं।