अमेरिका के पॉल आर मिलग्रॉम तथा रॉबर्ट बी विल्सन को इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें यह पुरस्कार नीलामी सिद्धांत में सुधार और नए नीलामी प्रारूप के आविष्कार के लिए दिया गया है। उनके नीलामी सिद्घांत से दुनिया भर के खरीदारों और विक्रेताओं को फायदा हो रहा है।
नोबेल पुरस्कार प्रदान करने वाली संस्था की आधिकारिक वेबसाइट ने ट्वीट किया, 'नीलामी हर जगह हो रही है और हर किसी के जीवन को प्रभावित कर रही है। इस साल मिलग्रॉम तथा विल्सन ने नीलामी के सिद्घांत में सुधार किया है और नीलामी के नए प्रारूप का आविष्कार किया है। इससे दुनिया भर के विक्रेताओं, खरीदारों और करदाताओं को लाभ हो रहा है।' मिलग्रॉम और विल्सन ने परस्पर जुड़े बिक्री प्रारूप की पेशकश की है। वर्ष 1994 में अमेरिकी प्राधिकरणों ने उनके नीलामी की एक डिजाइन का उपयोग कर दूरसंचार ऑपरेटरों को रेडियो फ्रीक्वेंसी की नीलामी की थी। उसके बाद से अन्य देशों ने इस प्रारूप को अपनाया।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा कि मिलग्रॉम और विल्सन के नीलामी प्रारूप से आधुनिक दूरसंचार उद्योग को नया आकार देने में मदद मिली है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव गोरान हैंसन ने सोमवार को स्टॉकहोम में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम की घोषणा की। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में यह पुरस्कार ऐसे समय दिया गया है जब विश्व कोविड-19 महामारी की वजह से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सर्वाधिक भीषण मंदी का सामना कर रहा है।
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिए जाने वाले इस पुरस्कार को तकनीकी रूप से स्वीरिजेज रिक्सबैंक प्राइज कहा जाता है और यह वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में दिया जाता है। इस पुरस्कार की स्थापना 1969 में हुई थी और इसे अब नोबेल पुरस्कारों में से ही एक माना जाता है। पिछले साल यह पुरस्कार वैश्विक गरीबी को कम करने के प्रयासों के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के दो अनुसंधानकर्ताओं तथा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अनुसंधानकर्ता को दिया गया था। पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (लगभग 8.27 करोड़ रुपये) की राशि दी जाती है।