बीएस बातचीतपिछले कुछ सत्रों से बाजारों के लिए एकतरफा राह बनी हुई है। जूलियस बेयर इंडिया के प्रबंध निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार उमेश कुलकर्णी ने पुनीत वाधवा को बताया कि भारतीय बाजारों में एफपीआई प्रवाह सकारात्मक बने रहने की संभावना है, क्योंकि डॉलर में कमजोरी बने रहने और घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार दिखने का अनुमान है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:क्या भारतीय इक्विटी बाजार मौजूदा स्तरों पर टिके रह सकते हैं?बाजार में तेजी बनाए रखने के लिए प्रमुख बाजार भागीदारी बरकरार रहना जरूरी है और मेरा मानना है कि ऐसा संभव होगा। भारत में कोविड-19 की स्थिति में सुधार आने की संभावना है। सितंबर के दूसरे पखवाड़े से इस महामारी में नरमी के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं। बगैर किसी बड़े बदलाव के अनलॉकिंग की प्रक्रिया बरकरार रखे जाने की जरूरत है। हमें वैश्विक स्थायित्व की जरूरत है और बेहद महत्वपूर्ण यह है कि वृद्घि एवं मांग संकेतकों में लगातार तेजी आनी चाहिए जिससे घरेलू और विदेशी निवेशकों में भरोसा बढ़ेगा।मौजूदा समय मेंं आपकी वैश्विक निवेश रणनीति क्या है?वैश्विक इक्विटी बाजार अभी भी अन्य परिसंपत्ति वर्गों के मुकाबले ज्यादा जोखिम से जुड़े हुए हैं। विकसित बाजारों (डीएम) में, जूलियस बेयर ग्लोबल रिसर्च अमेरिकी इक्विटी बाजारों के पक्ष में बनी हुई है। ईएम के संदर्भ में, जूलियर बेयर ग्लोबल रिसर्च चीन पर ध्यान बनाए हुए है, जो उसकी मुख्य होल्डिंग बनी हुई है और हम आईटी, हेल्थकेयर तथा उपभोक्ता क्षेत्रों के ढांचागत विकास खंडों को लेकर आशान्वित बने हुए हैं। हम लैटम और सीईईएमईए (सेंट्रल ऐंड ईस्टर्न यूरोप, मिडिल ईस्ट, ऐंड अफ्रीका) पर अंडरवेट हैं, क्योंकि वहां जिंस कीमत सुधार का अभाव है और वृद्घि में सुधार की राह में वित्तीय दबाव बना रहेगा। जूलियर बेयर ग्लोबल रिसर्च भारत पर तटस्थ बनी हुई है।भारतीय बाजारों में एफआईआई प्रवाह की आगामी राह कैसी है?मई और अगस्त के बीच डॉलर की कमजोरी से भारत समेत ईएम में विदेशी प्रवाह में तेजी आई। डॉलर में कमजोरी बरकरार रहने, भारत में कोविड-19 के मामले घटने, और घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार आने से एफपीआई प्रवाह सकारात्मक बने रहने की संभावना है।आपकी बाजार रणनीति क्या है?हमने फिलहाल बाजार पर तटस्थ रवैया बनाए रखा है, क्योंकि अल्पावधि वैश्विक और घरेलू कोविड-19 तथा वृद्घि के जोखिम कुछ आर्थिक संकेतकों में सुधरती गति से संतुलित हुए हैं। पिछले 6 महीनों के दौरान आई निफ्टी में 40 प्रतिशत की तेजी में तीन शेयरों - रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का अहम योगदान है। वहीं कई ब्लूचिप शेयर अभी भी 6 महीने पहले दर्ज किए गए स्तरों पर बने हुए हैं। पिछले कुछ महीनों में, बाजार धारणा में सुधार आया है और मिड-कैप एवं स्मॉल-कैप ने पूंजी प्रवाह आकर्षित किया है और उनके प्रदर्शन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। हम मिड और स्मॉल-कैप को लगातार पसंद कर रहे हैं। निवेशक इस बाजार सेगमेंट में अपना निवेश बढ़ा सकते हैं।आपके ओवरवेट और अंडरवेट सेक्टर कौन से हैं?हम हेल्थकेयर, वित्त (निजी बैंक और बीमा), दूरसंचार, रसायन, और खपत पर सकारात्मक बने हुए हैं, हालांकि इस साल शेयर कीमतों में अच्छी तेजी की वजह से हेल्थकेयर में कुछ मुनाफावसूली देखी जा सकती है। हम आईटी क्षेत्र के लिए विकास परिदृश्य पर भी सकारात्मक बने हुए हैं, लेकिन इन शेयरों में हाल में आई तेजी को देखते हुए हम इनमें प्रवेश का बेहतर अवसर तलाशेंगे। हम वाहन क्षेत्र पर खासकर मूल्यांकन की वजह से तटस्थ बने हुए हैं। मजबूत थोक बिक्री आंकड़ों (इन्वेंट्री फाइलिंग की वजह से) के बावजूद हम खुदरा मांग में अच्छी तेजी देखेंगे, क्योंकि त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है।क्या आप मानते हैं कि बैंकिंग शेयर बढ़त बना रहे हैं और बाजार की तेजी में योगदान दे रहे हैं?बैंकिंग सेक्टर ने इस कैलेंडर वर्ष में काफी कमजोर प्रदर्शन किया है। आर्थिक मंदी, मोरेटोरियम, ऋण पुनर्गठन, और सभावित ब्याज माफी आदि से जुड़ी चिंताओं की वजह से बैंकों पर दबाव पड़ा। एमएसएमई पर ब्याजमाफी की ताजा सरकारी घोषणा और 2 करोड़ रुपये तक के व्यक्तिगत ऋणों के लिए 6 महीने की ईएमआई स्थगन सुविधा अपेक्षित थी और इससे गतिरोध दूर हुआ है। हमारा मानना है कि बैंकिंग शेयर, खासकर प्रमुख बैंक आकर्षक मूल्यांकन पर हैं और इस अवधि के दौरान मजबूत बने रह सकते हैं। न बैंकों को 2021 में अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने से मजबूत देनदारी फ्रैंचाइजी/कोष उगाही क्षमताओं से मदद मिल सकती है।
