चाहिए व्यापक सलाह तो आरआईए की लें मदद | संजय कुमार सिंह / October 11, 2020 | | | | |
भारतीय प्रतिभूति विनियम बोर्ड (निवेश सलाहकार) (संशोधन) नियमन, 2020 1 अक्टूबर से प्रभावी हो गया है। इन दिशानिर्देशों में पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) और म्युचुअल फंड वितरक (एमएडी) के कार्यों के बीच स्पष्ट लकीर खींच दी गई है। निवेशकों को आरआईए या एमएफडी का रुख करने से पहले उन सेवाओं पर गहराई से सोचना होगा, जिनकी उन्हें असल में जरूरत है।
नियामक ने निवेशकों के स्तर पर सेवाओं का निर्धारण कर दिया है। अगर आप किसी आरआईए से सलाह चाहते हैं तो उस स्थिति में उसी व्यक्ति/इकाई या उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य से वितरण संबंधी सेवाएं नहीं ले सकते हैं। इसी तरह, वितरक भी आपको वित्तीय लक्ष्यों पर कोई सलाह नहीं दे सकेंगे। उनकी भूमिका केवल म्युचुअल फंडों की बिक्री तक ही सीमित रह जाएगी। हालांकि मौजूदा ग्राहकों को इन दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए अपनी योजनाएं बेचने या इनमें बदलाव की जरूरत नहीं होगी। हां, भविष्य की जरूरतों के लिए उन्हें अलग-अलग इकाइयों से सलाह एवं वितरण से जुड़ी सेवाएं लेनी होंगी।
यह पूरी तरह आपकी सेवा जरूरतों पर निर्भर करेगा और उसी हिसाब से आप आरआईए या एमएफडी से संपर्क साध सकते हैं। ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी पंकज मठपाल कहते हैं,'अगर कोई निवेशक जोखिम निर्धारण एवं पोर्टफोलियो की नियमित निगरानी सहित व्यापक वित्तीय योजना तैयार करना चाहता है तो उसके लिए आरआईए सबसे उम्दा विकल्प होगा। अगर आप केवल म्युचुअल फंडों में ही निवेश करना चाहते हैं तो सीधे वितरक से संपर्क कर सकते हैं।' प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी विशाल धवन कहते हैं,'लक्ष्य आधारित योजना या विभिन्न योजनाओं पर जानकारी चाहने वालों को आरआईए की सेवा लेनी चाहिए।'
क्रियान्वयन संबंधी मुद्दे
आरआईए की सेवाएं लेने के बाद आपको यह तय करना होगा कि सलाह पर अमल कैसे करना है। आरआईए अपने ग्राहकों को सलाह पर अमल करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन वे इसके लिए कोई शुल्क नहीं ले सकते। आप ऐसे किसी माध्यम की सहायता भी ले सकते हैं, जो म्युचुअल फंड की डायरेक्ट प्लान (ऐसी म्युचुअल फंड योजनाएं जिनमें निवेशक सीधे निवेश करता है) की बिक्री करता है। अगर आप आरआईए से सलाह लेकर एमएफडी के पास इसके क्रियान्वयन के लिए जाते हैं तो यह थोड़ा पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि वितरक आपको अधिक लागत वाली रेग्युलर प्लान (ऐसी योजनाएं जिनमें ब्रोकरेज कंपनी या म्युचुअल फंड एजेंट की मदद से निवेश किया जाता है) बेचेगा।
आरआईए परिसंपत्ति पर सलाह (ऐसेट अंडर एडवाइस) देने के एवज में प्रतिशत के रूप में या एक नियत फीस ले सकता है। परिसंपत्ति के मूल्य के प्रतिशत के रूप में फीस 2.5 प्रतिशत तक हो सकती है, जबकि नियत शुल्क सालाना 1.25 लाख रुपये तक हो सकता है। धवन कहते हैं,'ज्यादातर आरआईए एयूए आधार पर काम करते हैं। अमूमन वे सेबी द्वारा तय सीमा से काफी कम फीस लेते हैं। फीस एयूए का महज 1 प्रतिशत तक भी रह सकता है।' अगर आप म्चुचुअल फंड वितरक के पास जाते हैं तो आपको अपने जेब से कुछ नहीं देना पड़ेगा क्योंकि उन्हें फंड कंपनी से कमीशन मिलता है। हरेक योजना के पर कमीशन अलग-अलग हो सकता है। कभी-कभी वितरक आपको ऐसी योजना खरीदने के लिए भी उकसा सकता है, जिसकी बिक्री पर उसे अधिक कमीशन मिलेगा। इस बात का खास तौर पर ध्यान रखें।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
व्यापक सलाह चाहने वाले लोगों को आरआईए का रुख करना चाहिए। हालांकि ऐसे लोगों को अपने स्तर पर सलाह का क्रियान्वयन करने की क्षमता जरूर होनी चाहिए। क्रियान्वयन का जरिया चुनने पर कुछ शुल्क लगता है। छोटे आकार का पोर्टफोलियो रखने वाले निवेशक जरूरत पडऩे पर शुरू में म्युचुअल फंड वितरक के पास जा सकते हैं (तकनीकी तौर पर सक्षम निवेशक सीधे किसी माध्यम का इस्तेमाल कर सकते हैं)। बाद में अधिक सलाह की जरूरत पडऩे पर वे किसी आरआईएक के पास जा सकते हैं।
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