टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापन के लिए निवेश करने वाली कंपनियां दर्शकों की माप प्रणाली को छोडऩे में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही हैं जिसमें कुछ चैनलों द्वारा कथित हेरफेर की गई है। मुंबई पुलिस द्वारा रिपब्लिक टीवी सहित कुछ चैनलों द्वारा संचालित दर्शकों के रैकेट की घोषणा के एक दिन बाद बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जब विज्ञापनदाताओं से बात की तब उनका कहना था कि इस मामले में जांच चल रही है ऐसे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही नहीं होगा। अमूल की निर्माता और टेलीविजन पर एक बड़ी विज्ञापनदाता 'गुजरात सहकारी दूध वितरण संघ' के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा, 'जोड़तोड़ सही नहीं है लेकिन मैं इस मामले में चल रही जांच पर टिप्पणी नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा, 'हमारे विज्ञापन से जुड़े फैसले दर्शकों के आंकड़ों पर आधारित हैं। हालांकि, हम अपनी बिक्री टीमों से ही यह विचार-विमर्श करते हैं कि जहां हमारे उपभोक्ता हैं हम अपने विज्ञापनों का प्रसारण वहीं करें। इस तरह की रणनीति से ही हम अपने विज्ञापनों से जुड़े फैसले करते हैं।' वहीं पारले-जी और दूसरे लोकप्रिय बिस्कुट के निर्माता रहे पार्ले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मीडिया योजनाकारों और खरीदारों का कहना है कि समाचार चैनलों को आमतौर पर कुल टीवी दर्शकों में से महज 5 प्रतिशत का साथ मिलता है लेकिन इसमें विज्ञापन की हिस्सेदारी दोगुनी है और करीब 10 फीसदी तक है। विज्ञापन देने से जुड़े निर्णय आमतौर पर टेलीविजन रेटिंग अंक (टीआरपी) पर आधारित होता है ऐसे में ज्यादा दर्शकों को जोडऩे की होड़ इसी वजह को दर्शाती है। लेकिन पर्सनल या होम केयर उत्पाद तैयार करने वाले एक निर्माता ने कहा कि हेरफेर का मुद्दा चिंता का विषय है। हालांकि, विकल्प के अभाव में कंपनियां इस मामले पर सफाई देने के लिए दर्शकों से जुड़े डेटा जारी करने वाली ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया (बार्क) को इस मसले पर सफाई देने के लिए समय देने को तैयार हैं। डिजिटल मीडिया खरीदारी से जुड़ी कंपनी जेनिथ के उपाध्यक्ष सजल गुप्ता ने कहा, 'इसके मौजूदा स्वरूप में देखा जाए तो दर्शकों की माप प्रणाली जोखिम से भरी है। पैनल वाले घरों में सेंध लगाकर नियमों का उल्लंघन किया जा सकता है, हालांकि बार्क ने सभी स्तरों पर हेरफेर की गुंजाइश को कम करने के लिए एक सख्त प्रोटोकॉल भी लगाया है। लेकिन मुंबई पुलिस ने संकेत दिया कि ऐसे मुद्दे हैं इसकी जांच में सामने आए हैं।' बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने शुक्रवार को कहा कि उनकी कंपनी ने नफ रत फैलाने वाले तीन चैनलों को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया था और उनकी कंपनी जहर फैलाने वालों से नहीं जुड़ी होगी। शुक्रवार को न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने आज तक, ज़ी न्यूज, न्यूज 24 और इंडिया टीवी सहित कुछ चैनलों को बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़ी संवेदनहीन रिपोर्टिंग के लिए एक माफीनामा प्रसारित करने के लिए भी निर्देश दिया। कुछ विज्ञापनदाता निजी तौर पर स्वीकार करते है कि यह समय विवेकपूर्ण समाचार के प्रसारण का था लेकिन प्रसारण के मानकों को एकदम नीचे गिरा दिया गया क्योंकि चैनल दर्शकों को बटोरने की होड़ में जुटे थे। मुंबई पुलिस ने कहा कि टीआरपी हेरफेर में शामिल लोग पैनल वाले घरों में लोगों को रिश्वत देते हैं और उन्हें कुछ चैनलों को चालू रखने के लिए कहते हैं, भले ही वे उन्हें नहीं देख रहे हों या घर पर मौजूद नहीं हों। पुलिस ने कहा कि इनमें से कई उपयोगकर्ताओं ने स्वीकार किया था कि उन्हें ऐसा करने के लिए पैसे दिए गए थे। इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुंबई पुलिस ने हंसा रिसर्च द्वारा दायर पहली एफ आईआर पर कार्रवाई की थी जिसे बार्क द्वारा दर्शकों की माप के लिए जमीनी स्तर की निगरानी का काम दिया गया है। हंसा रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) प्रवीण निझारा ने एक बयान में कहा कि एजेंसी अधिकारियों का सहयोग कर रही थी। उन्होंने कहा, 'हंसा रिसर्च और बार्क ने पिछले कुछ हफ्तों में इस मामले की जांच कराई जिसके निष्कर्ष के परिणामस्वरूप हंसा रिसर्च ने एक पूर्व कर्मचारी के खिलाफ एफ आईआर दर्ज की जो कुछ गलत कामों में लगा हुआ था। हंसा रिसर्च हमेशा से सतर्क रही है और हम बार्क और अधिकारियों के साथ सहयोग करते रहेंगे।'
